Gsat-7A का वजन 2250 किलोग्राम है. इसे रॉकेट लॉन्चर GSLV-F11 की सहायता से सफलतापूर्वक लांच किया गया है. इस उपग्रह से वायुसेना की ताकत और बढ़ेगी. इस सैटेलाइट की मदद से भारतीय वायुसेना को बड़ी ताकत मिलेगी. इस सैटेलाइट से ग्राउंड रडार स्टेशन, एयरबेस और AWACS एयरक्राफ्ट को इंटरलिंक करने में काफी मदद मिलेगी. इतना ही नहीं एयरफोर्स के ग्लोबल ऑपरेशन को भी बड़ा पुश मिलेगा. ना सिर्फ एयरबेस इंटरलिंक बल्कि ड्रोन ऑपरेशन, मानवरहित एरियल व्हीकल (UAV) की ताकत भी इसके जरिए बढ़ेगी. गौरतलब है कि इससे पहले भी इसरो नेवी के लिए रुकमणी लॉन्च कर चुका है. गौरतलब है कि दुनिया में अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश ही अभी तक अपनी सेना के लिए सैटेलाइट लॉन्च कर चुके हैं.
Update #12#ISROMissions#GSLVF11 successfully launches #GSAT7A into Geosynchronous Transfer Orbit. pic.twitter.com/9PiUa8e1NI
— ISRO (@isro) December 19, 2018
इसरो के अनुसार, लॉन्च होने के केवल 19 मिनट बाद ही, जीएसएलवी राकेट 2,250 किग्रा वाले जीसैट-7ए को भूस्थैतिक स्थानांतरित कक्षा (जीटीओ) में ले जाएगा. आपको बता दें कि Gsat-7A का निर्माण ISRO द्वारा किया गया है, ये सैटेलाइट आठ साल तक काम करेगा. जीसैट-7ए का निर्माण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने किया है और इसका जीवन 8 साल है. यह भारतीय क्षेत्र में केयू-बैंड के यूजर्स को संचार क्षमताएं मुहैया कराएगा.
Update #11#GSLVF11 lifts-off carrying #GSAT7A onboard from Sriharikota.
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