नई दिल्ली: प्रसार भारती ने ऑल इंडिया रेडियो के राष्ट्रीय चैनल और पांच शहरों में रीजनल ट्रेनिंग एकेडमी को तत्काल प्रभाव से बंद करने का फैसला लिया है। ऐसा खर्चों में कटौती के लिए किया गया है। साथ ही सेवाओं को और ज्यादा तर्कसंगत बनाया जा सके। शाम 6 से सुबह 6 बजे तक प्रसारित होने वाला राष्ट्रीय चैनल 1987 में शुरू हुआ था।
राष्ट्रीय मुद्दों से लोगों को परिचित कराने में इस चैनल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रात में संचालित होने वाले इस चैनल में हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी भाषा में कई तरह के प्रोग्राम प्रसारित किए जाते थे। इसका मकसद फैक्ट्री मजदूरों, किसानों, सैनिकों, ड्राइवरों और स्टूडेंट्स जैसे विविध रुचि वाले श्रोताओं के लिए कार्यक्रम प्रसारित करना था। इसमें मुशायरे के अलावा शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम भी सर्वाधिक लोकप्रिय रहा। इस चैनल के कार्यक्रमों की पहुंच 76% आबादी और 64% क्षेत्र तक थी।
24 दिसंबर 2018 को आकाशवाणी के महानिदेशक को भेजे एक पत्र में प्रसार भारती ने इसकी जानकारी दी। राष्ट्रीय चैनल बंद करने के अलावा अहमदाबाद, हैदराबाद, लखनऊ, शिलाॅन्ग और तिरुवनंतपुरम में स्थित रीजनल ट्रेनिंग एकेडमी (आरएबीएम) को भी बंद किया जा रहा है।
भारत में रेडियो प्रसारण का पहला कार्यक्रम 1923 में रेडियो क्लब ऑफ मुंबई द्वारा किया गया था। इसके बाद 1927 में प्रसारण सेवा का गठन हुआ। 1936 में इसे ऑल इंडिया रेडियो का नाम दिया गया। आज इसके 200 से ज्यादा केंद्र हैं। ऑल इंडिया रेडियो अपने प्राथमिक चैनल के साथ विज्ञापन प्रसारण सेवा विविध भारती, एफएम चैनल और विदेश प्रसारण चैनल भी संचालित करता है।
32 साल तक चले ऑल इंडिया रेडियो के राष्ट्रीय चैनल के पास कार्यक्रमों का समृद्ध खजाना है। इसमें कई महत्वपूर्ण राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक हस्तियों के इंटरव्यू, भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी, पं. कुमार गंधर्व, मल्लिकार्जुन मंसूर, एन. राजम जैसे शास्त्रीय संगीतज्ञों की रिकॉर्डिंग मौजूद है। प्रसार भारती ने 3 जनवरी को एक आदेश जारी कर राष्ट्रीय चैनल और आकाशवाणी के सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को डिजिटाइज कर उसके संरक्षण के लिए दिल्ली स्थित आर्काइव सेंटर भेजने को कहा है।