नई दिल्ली: मोदी सरकार ने गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण देने की घोषणा की है। लोकसभा चुनाव से करीब 3 महीने पहले सरकार के इस फैसले को राजनीति का मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है। भाजपा ने इस प्रस्ताव के जरिए अपने परंपरागत सवर्ण वोटरों को खुश करने की कोशिश भी की है, जो एससी/एसटी एक्ट पर अध्यादेश लाने को लेकर पार्टी से नाराज बताए जा रहे थे।
इसका असर मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव के नतीजों में भी देखने को मिला। ऐसे में अब भाजपा आरक्षण के दांव से आम चुनाव में अपने सवर्ण बहुल गढ़ों को बचाना चाहती है।
भाजपा ने 2014 लोकसभा चुनाव में 282 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इनमें से 256 यानी 91% सीटें, उसे देश के 14 राज्यों से मिली थीं। इन 14 राज्यों में लोकसभा की कुल 341 सीटें हैं। इन 341 सीटों में से करीब 170 से 179 लोकसभा सीटों पर सवर्ण वोटर अहम भूमिका निभाते हैं। इनमें से भाजपा ने 2014 में 140 सीटों पर जीत दर्ज की थी। भाजपा को सिर्फ 26 यानी 9% सीटें देश के अन्य हिस्सों से मिली थीं, वहां 188 लोकसभा सीटें हैं।
अकेले यूपी में 35 से 40 सीटें ऐसी हैं, जहां सवर्ण वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 2014 में भाजपा को इनमें से 37 सीटों पर जीत मिली थी। दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है, यहां 22 से 25 सीटों पर सवर्णों का दबदबा है। भाजपा को इनमें से 10 पर जीत मिली थी। भाजपा ने राज्य में 25 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से 23 जीती थीं।
2019 में 14 राज्यों की स्थिति, जहां भाजपा की 91% सीटें हैं
राज्य | कुल सीटें | सवर्ण सीटें | 2014 में जीत |
यूपी | 80 | 40 | 37 |
महाराष्ट्र | 48 | 22-25 | 10 |
बिहार | 40 | 20 | 10 |
कर्नाटक | 28 | 13-15 | 10 |
गुजरात | 26 | 12 | 12 |
मध्यप्रदेश | 29 | 14 | 13 |
राजस्थान | 25 | 14 | 14 |
झारखंड | 14 | 6 | 4 |
असम | 14 | 7 | 5 |
हरियाणा | 10 | 5 | 4 |
दिल्ली | 7 | 5 | 5 |
उत्तराखंड | 5 | 5 | 5 |
हिमाचल | 4 | 4 | 4 |
सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण दिया जाना कम है. हमने 15 फीसदी आरक्षण देने की मांग की थी : जीतनराम मांझी, पूर्व सीएम, बिहार सह अध्यक्ष, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा
दलितों, पिछड़ों, अतिपिछड़ों आदि जिन्हें पहले से आरक्षण मिल रहा है, उनके हितों की रक्षा की जानी चाहिए. उनके लिए ठोस कदम उठाये जाने चाहिए. उसके बाद किसी को कोई हक देने की बात की जानी चाहिए. जब तक ऐसा नहीं हो रहा, यह भी जुमले जैसा है. इन सब बातों का कोई मतलब नहीं. उपेंद्र कुशवाहा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी