- अभिमत

 ऐसे में कैसे बनेगा, भाजपा विरोधी “फेडरल फ्रंट” ?

प्रतिदिन :

यूँ तो चुनाव ५ राज्यों में विधानसभा के घोषित हुए हैं, लोकसभा २०१९ के अनुमान लगने लगे हैं | सर्वे दोनों तरह के आ रहे हैं | सत्तारूढ़ दल के पक्ष और विपक्ष में | इन विधानसभा चुनावों के नतीजे को ही ध्यान में रखकर ममता बनर्जी आगामी लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा के खिलाफ एक मोर्चा तैयार करना चाहती हैं। इसके लिए वे एक रैली कर रही है | यह रैली भाजपा के खिलाफ बनर्जी के बनाए ‘फेडरल फ्रंट’ की पहली पहल होगी। वैसे वे अभी  सी पीआई एम् से ज्यादा चिंतित है|उनका मानना है ‘सीपीआई(एम) उनके खिलाफ षड्यंत्र रच रही  है। वैसे भी देश की राजनीति करवट बदल रही है | राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के पार्टी प्रमुख शरद पवार २०१९ का चुनाव नहीं लड़ेंगे |
ममता बनर्जी १९ जनवरी को रैली का आयोजन कर रही हैं | तब तक विधानसभा चुनावों के नतीजे आ चुके होंगे |केरल के मुख्यमंत्री के साथ इस रैली में दूसरी वामपंथी पार्टियों जैसे- सीपीआई, आरएसपी और अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक को रैली में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया जाने की योजना है | ममता के अनुसार उनके लिए कोई भी अछूत नहीं है।वैसे अभी भाजपा विरोधी सभी पार्टियों को आमंत्रण भेजा जा चुका है। कुछ पार्टियों ने जैसे- टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू, एनसी नेता उमर अब्दुल्ला और आप अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल ने पुष्टि कर दी है कि वह रैली में शामिल होंगे।’सीपीआई(एम) के केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा, ‘इस तरह के बयान आधारहीन हैं। एक तरफ उनकी पार्टी के कार्यकर्ता हमारे कार्यकर्ताओं की हत्या कर रहे हैं और हमारे घरों को जला रहे हैं। यह दोगला रवैया है।
जिन विधानसभा चुनावों के सम्भावित नतीजों को लेकर यह व्यूह रचना हो रही है | उनमें सबसे अधिक सीटें मध्यप्रदेश में हैं | २०१३ में यहां कुल २३०  सीटों पर भाजपा ने एकतरफा जीत दर्ज की थी| भाजपा को १६५ मिली थीं | जबकि कांग्रेस ने ५८  सीटों पर जीत दर्ज की थी| मध्यप्रदेश में भी भजपा पिछले १५  सालों से सत्ता में है जबकि शिवराज सिंह चौहान १२ साल से मुख्यमंत्री हैं| लेकिन, इस बार विधानसभा चुनाव में उसे कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा है| १५  सालों की एंटीइंबेंसी का असर दिख रहा है| अन्य भाजपा शासित राज्यों में भी ऐसा ही दृश्य दिख रहा है |
सभी चुनाव घोषित राज्यों में एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए संसद से कानून पारित कराने के मुद्दे को लेकर सवर्णों में नाराजगी देखने को मिल रही है| पिछले चुनावों में सवर्ण समाज भाजपा के साथ लगातार जुड़ा रहा है, लेकिन, इस मुद्दे पर उसकी नाराजगी ने बीजेपी की चिंता बढा दी है| मध्यप्रदेश में सवर्ण और पिछड़े समुदाय के लोगों ने मिलकर ‘सपाक्स’ संगठन बनाकर विरोध का स्वर बुलंद किया है | अब सपाक्स ने मध्यप्रदेश की सभी २३०  सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है| सपाक्स की चुनावी रणनीति वोटकटवा की भूमिका में उसे सामने ला सकती है|
सबकी नजरें इस बार राहुल गांधी पर हैं| अभी सेकुलर बन भाजपा विरोधी मोर्चे में जाने वाले  कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अब शिवभक्त के बाद रामभक्त के तौर पर नजर आ रहे हैं| राहुल सॉफ्ट हिंदुत्व के जरिए अपनी और कांग्रेस की नई छवि बनाने की तैयारी में हैं| ऐसे में ममता बनर्जी का भाजपा विरोधी कैसे चलेगा राम जाने |

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