नई दिल्ली: तपिश के मामले में पिछला साल 117 वर्षों में छठा सबसे गर्म साल रहा। देश के औसत तापमान में 0.41 डिग्री की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। इस दौरान मौसमी बीमारियों से 1,428 लोगों की मौत हुई। इनमें से सबसे ज्यादा 590 लोग उत्तरप्रदेश में मारे गए।
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, मौसम विभाग की ओर से बुधवार को दिए बयान में कहा गया कि 2018 की सर्दियों में जनवरी-फरवरी के महीने के औसत तापमान में 0.59 डिग्री की बढ़ोत्तरी देखी गई। 1901 के बाद से यह इन महीनों के हिसाब से पांचवा सबसे गर्म साल रहा। मार्च से मई तक का दौर भी सामान्य से ज्यादा गर्म रहा। 117 साल में तुलनात्मक रूप से ये सातवें सबसे गर्म महीने रहे।
बुधवार को जारी इस विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार बीते कुछ दशकों से जलवायु परिवर्तन का प्रभाव तेजी से असर डाल रहा है। रिपोर्ट के अनुसार 2001-10 के दौरान दशकीय तापमान सामान्य से 0.23 डिग्री अधिक रहा जबकि 2009-18 के बीच यह 0.37 डिग्री ज्यादा दर्ज किया गया।
6 सालों में औसत से कितना ज्यादा रहा अधिकतम तापमान?
साल तापमान
2016 0.72 डिग्री
2009 0.56 डिग्री
2017 0.55 डिग्री
2010 0.54 डिग्री
2015 0.42 डिग्री
2018 0.41 डिग्री
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने रिपोर्ट के हवाले से ट्वीट कर बताया कि पिछले साल देश में चक्रवात, बिजली गिरने, भीषण गर्मी, कड़ाके की ठंड और मूसलाधार बारिश से 1,428 लोगों की जान गई
,428 में से लगभग आधी (688) मौतें बाढ़ से हुईं। केरल की बाढ़ में 223 लोगों ने जान गंवाई।
उत्तरप्रदेश में सबसे ज्यादा 590 लोगों की मौत हुई।