चांद: चीन ने मंगलवार को ही चांद पर पहली बार कपास का पौधा उगाने का ऐलान किया था, लेकिन अगले ही दिन इस पौधे के मरने की खबर आ गई। द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, चांद पर उगाया गया पहला कपास का पौधा रात में तापमान माइनस 170 डिग्री सेल्सियस तक गिरने की वजह से मर गया।
China’s Chang’e-4 concludes bio experiment; dead cotton plant to be decomposed in an experimental tank to avoid any environmental impact on the Moon #ChangE4 pic.twitter.com/PT1jGKqtlj
— China News 中国新闻网 (@Echinanews) January 18, 2019
सूरज की रोशनी में तो ये पौधा अच्छी तरह बढ़ रहा था, लेकिन रात होते ही तापमान गिरने की वजह से मर गया। चांद पर एक रात दो हफ्ते की होती है। इस दौरान वहां तापमान गिर जाता है।
दिन के समय यही तापमान 120 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच जाता है।
चीन ने 3 जनवरी को रोवर चांगी-4 के साथ कपास, आलू और सरसों के बीज के अलावा मक्खी के अंडे भी भेजे थे। लेकिन इनमें से सिर्फ कपास का ही पौधा चांद पर पनप पाया। बाकी पौधों में कोई ग्रोथ नहीं हुई थी। हालांकि, वैज्ञानिकों ने आलू और सरसों के बीज भी अंकुरित होने की उम्मीद जताई थी। इसीके साथ चीन पहला ऐसा देश बन गया था, जिसने चांद पर किसी पौधे को उगाया था।
Seedlings in space! First-ever cotton plant on the Moon growing in #ChangE4 mini biosphere https://t.co/L8YpXqoVIG pic.twitter.com/3NVoCBUn5M
— China Xinhua News (@XHNews) January 15, 2019
चीन के इस प्रोजेक्ट को लीड करने वाले वैज्ञानिक शाई गेंगशिन ने कहा कि हमें पहले से ही इस पौधे के जल्दी मरने की आशंका थी क्योंकि रात के समय वहां किसी भी पौधे के लिए बच पाना नामुमकिन है। गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने बताया कि, लैंडिंग के बाद रविवार को चांद पर पहली रात थी और रविवार से ही चांगी-4 रोवर ‘स्लीप मोड’ में चला गया था।
शाई का कहना है कि धीरे-धीरे पौधे और बीज चांद पर डिकम्पोज हो जाएंगे और इससे चांद के वातावरण पर कोई प्रतिकूल असर नहीं होगा। उन्होंने कहा, “चांद पर पौधे उगाने का प्रयोग हमने पहली बार किया था और हमें इसका कोई अनुभव भी नहीं था कि चांद पर किस तरह का वातावरण होता है।
चीन के वैज्ञानिकों ने बताया था कि, रोवर चांगी-4 में पानी और मिट्टी से भरे एक डिब्बे को भेजा गया था जो 18 सेंटीमीटर का था। इस डिब्बे के अंदर कपास, आलू और सरसों के बीज के साथ-साथ फ्रूट फ्लाय के अंडे और यीस्ट भेजे गए थे। इसके साथ ही इसमें दो छोटे कैमरे और एक हीट कंट्रोल सिस्टम भी था, ताकि बीज के अंकुरित होने की फोटो मिलती रहे।