भोपाल: इमरजेंसी के दौरान जेल में कैद रहे मीसा बंदियों की पेंशनखतरे में हैं. मध्यप्रदेश में सरकार बदलते ही मीसाबंदी पेंशन पर कांग्रेस ने आंखें तरेरी हैं. कांग्रेस का कहना है कि यह सरकारी पैसे की फिजूलखर्ची है. वहीं बीजेपी का कहना है कि ऐसा होने पर सदन से सड़क तक पुरजोर विरोध होगा.
मध्यप्रदेश में फिलहाल 2000 से ज्यादा मीसाबंदी 25 हजार रुपये मासिक पेंशन ले रहे हैं. साल 2008 में शिवराज सरकार ने मीसा बंदियों को 3000 और 6000 पेंशन देने का प्रावधान किया. बाद में पेंशन राशि बढ़ाकर 10000 रुपये की गई. साल 2017 में मीसा बंदियों की पेंशन राशि बढ़ाकर 25000 रुपये की गई. इस पर सालाना करीब 75 करोड़ का खर्च आता है.
कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी सरकार ने अपनों को रेवड़ी बांटने के लिए ऐसी करोड़ों की फिजूलखर्ची की है. कांग्रेस की मीडिया प्रभारी शोभा ओझा ने कहा बीजेपी सरकार ने 25000 रुपये प्रति माह मीसाबंदी के लोगों को बांटा है. स्वतंत्रता सेनानियों को पेंशन नहीं मिल रही थी लेकिन मीसा बंदियों को पेंशन दे डाली. सरकार 75 करोड़ रुपये सालाना लुटा रही थी, इसको तुरंत बंद होना चाहिए.
शिवराज वेतन भत्ते के अलावा 25000 मीसाबंदी पेंशन भी ले रहे थे
पीएम नरेंद्र मोदी ‘खाउंगा न खाने दूंगा’ के साथ कहते हैं कि देश के ऐसे लोग जो आर्थिक रूप से सक्षम हैं, उन्हे सब्सिडी और ऐसी सरकारी सुविधाएं जिन पर सरकारी खचाने से खर्चा होता है, नहीं लेना चाहिए. उन्हे गिव अप कर देना चाहिए. पीएम मोदी की अपील पर लाखों लोगों ने रसोई गैस सब्सिडी और रेल यात्रा सब्सिडी को गिव अप किया है, परंतु सीएम शिवराज सिंह शायद मोदी से सहमत नहीं हैं. वो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए निर्धारित वेतन भत्ते ले रहे थे, फार्म हाउस व अन्य संशोधनों से भी उन्हे मोटी कमाई होती है बावजूद इसके वो 25000 रुपए मीसाबंदी पेंशन भी ले रहे थे. सरल सवाल यह है कि क्या कोई व्यक्ति सरकार से वेतन और पेंशन एक साथ ले सकता है?
सामान्य प्रशासन विभाग के मंत्री गोविंद सिंह ने पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को हर महीने 25,000 रुपए पेंशन देने के लिए फटकार लगाई है. मंत्री ने कहा कि अगर शिवराज में कुछ नैतिकता होती तो वह इसे कभी स्वीकार नहीं करते. सरकारी खजाने को इस पेंशन के नाम पर प्रति वर्ष 60 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया है. मंत्री गोविंद सिंह ने कहा- बीजेपी ने अपने ही लोगों को यह पेंशन देकर सरकारी धन को लूट लिया.
शिवराज सिंह ने ये क्या कहा
मंत्री गोविंद सिंह ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की तरह पूंजीपतियों को पेंशन देने की कोई जरूरत नहीं है. इस बात पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा- यह 17 साल की उम्र में लाठियों को तोड़ने के लिए एक मानदेय है न कि पेंशन. मुझे अभी भी सर्दियों के दौरान अपने शरीर में छाले होने का दर्द महसूस होता है.
शिवराज सिंह से सरल सा सवाल
क्या 25000 रुपए पेंशन प्राप्त होने के बाद छाले होने का दर्द महसूस नहीं होता?
यदि शिवराज सिंह मीसा में बंद ना होते तो क्या भाजपा के इतने बड़े नेता बन पाते?
क्या शिवराज सिंह को मीसाबंदी होने के कारण संगठन में फायदा नहीं मिला?
क्या शिवराज सिंह के लिए केवल यह पेंशन ही उनके जीवन यापन का साधन है?
क्या वो पीएम मोदी की गिव अप अपील से इंकार करते हैं?
क्या शिवराज सिंह सरकारी खजाने पर खुद बोझ बन जाना चाहते हैं?
उल्लेखनीय है कि इस 25000 रुपए से 25000 निर्धन महिलाओं को पोषण आहार भत्ता दिया जा सकता है और यह संख्या काफी है. यहां यह बताना भी बेहद जरूरी है कि खेती से लाभ कमाने वाले किसानों में शिवराज सिंह चौहान का नाम सबसे आगे आता है.