नई दिल्ली: आम चुनावों से पहले संसद के बजट सत्र में विपक्ष एक बार फिर राफेल सौदे पर सवाल उठाते हुए ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) की मांग दोहरा रहा है. विपक्ष ने मीडिया में प्रकाशित राफेल सौदे से जुड़े तथ्यों का हवाला देते हुए एक बार फिर अपने आरोपों को दोहराते हुए कहा कि ताजा तथ्यों से साफ है कि राफेल सौदे में प्रधानमंत्री कार्यालय का हस्तक्षेप था, लिहाजा अब उन्हें सिर्फ जेपीसी पर भरोसा है.
चिट्ठी में क्या लिखा है?
एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित सरकारी दस्तावेज दावा कर रहा है कि रक्षा मंत्रालय ने राफेल सौदे के संदर्भ में रक्षा मंत्री को एक पत्र लिखा था. पत्र में रक्षा मंत्रालय की तरफ से कहा गया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा राफेल सौदे में समानांतर बातचीत से रक्षा मंत्रालय की नेगोशिएशन टीम की कोशिशों को धक्का लग सकता है.
मंत्रालय की तरफ से रक्षा मंत्री को गए इस पत्र को मंत्रालय में डिप्टी सेक्रेटरी एसके शर्मा ने 24 नवंबर 2015 को जारी किया और इस पत्र को मंत्रालय में रक्षा सौदों के लिए जिम्मेदार डायरेक्टर जनरल एक्विजिशन की सहमति थी.
ANI accesses the then Defence Minister Manohar Parrikar’s reply to MoD dissent note on #Rafale negotiations.”It appears PMO and French President office are monitoring the progress of the issue which was an outcome of the summit meeting. Para 5 appears to be an over reaction” pic.twitter.com/3dbGB9xF4Z
— ANI (@ANI) February 8, 2019
विपक्ष का क्या आरोप है?
इस पत्र को आधार बनाते हुए दिन की संसद की कारवाई में तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने सवाल उठाया कि जब राफेल विमान खरीदने के लिए रक्षा मंत्रालय और फ्रांस सरकार के बीच बातचीत जारी थी तो क्यों प्रधानमंत्री कार्यालय से हस्तक्षेप किया गया? वहीं इन्हीं तथ्यों के आधार पर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे गंभीर मामला बताते हुए कहा कि जब प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और एयर चीफ मार्शल इस मुद्दे पर अलग-अलग बात कह रहे हैं तब सच्चाई उजागर करने के लिए सिर्फ जेपीसी का रास्ता बचता है.
Mallikarjun Kharge, Congress in Lok Sabha on MoD dissent note on #Rafale negotiations: We demand a joint parliamentary committee, everything will be revealed then, we don’t want any explanation now, have heard many explanations, from PM also. pic.twitter.com/KuUFwyuti6
— ANI (@ANI) February 8, 2019
सरकार ने क्या सफाई दी है
सामने आए नए तथ्य और विपक्ष के आरोपों के बीच रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में सरकार की तरफ से सफाई दी. रक्षा मंत्री ने कहा कि राफेल मामले पर सभी आरोपों को खारिज किया जा चुका है और सुप्रीम कोर्ट का फैसला देश के सामने है. लिहाजा, विपक्ष सिर्फ गड़े मुर्दे उखाड़ने का काम कर रहा है.
Defence Minister Nirmala Sitharaman: A newspaper published a file noting written by Defence Secretary, If a newspaper publishes a noting then the ethics of journalism will demand that the newspaper publishes the then Defence Minister’s reply as well. #Rafale pic.twitter.com/ZErHRRCkIq
— ANI (@ANI) February 8, 2019
निर्मला सीतारमण ने रक्षा मंत्रालय की नोटिंग पर कहा कि मीडिया में फाइल नोटिंग को पूरी तरह नहीं प्रकाशित किया गया है. निर्मला ने कहा कि तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने रक्षा सचिव की फाइल नोटिंग का स्पष्ट जवाब दिया था. लिहाजा इस संदर्भ में तत्कालीन रक्षा मंत्री का जवाब बेहद अहम है जिसे न तो प्रकाशित किया गया और न ही विपक्ष ने उठाया.
निर्मला सीतारमण ने सदन में बताया कि मनोहर पर्रिकर ने अपनी फाइल नोटिंग में रक्षा सचिव से साफ-साफ कहा कि मामले में शांत रहने की जरूरत है क्योंकि चीजें सही दिशा में चल रही हैं और किसी तरह की गड़बड़ी की संभावना नहीं है.
Defence Minister Nirmala Sitharaman in Lok Sabha: Then Defence Minister Manohar Parrikar ji replied to that MoD note that remain calm, nothing to worry, everything is going alright. Now, what do you call the NAC led by Sonia Gandhi’s interference in earlier PMO? What was that? pic.twitter.com/jB4z5kJCd3
— ANI (@ANI) February 8, 2019
वहीं पूरे मामले पर पलटवार करते हुए निर्मला सीतारमण ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर निशाना साधा. निर्मला ने विपक्ष से पूछा कि क्या मौजूदा समय में वह मानता है कि पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में सोनिया गांधी के नेतृत्व में गठित नेशनल एडवाइजरी काउंसिल को भी वह प्रधानमंत्री कार्यालय में हस्तक्षेप के तौर पर देखता है? लिहाजा विपक्ष को राफेल सौदे पर सवाल तभी उठाना चाहिए यदि वह पूर्व सरकार के एनएसी को भी प्रधानमंत्री कार्यालय में हस्तक्षेप के तौर पर देखता है.