- देश

गुर्जर आंदोलन : रेलवे ट्रैक पर अलाव जलाकर बैठे आंदोलनकारी, दूसरे दिन भी 14 ट्रेनें रद्द

जयपुर : पांच फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर राजस्थान में दो दिन से किए जा रहे गुर्जर आंदोलन की वजह से रेलवे ने शनिवार को 14 ट्रेनें रद्द कर दीं। चार के मार्ग बदले गए हैं। शुक्रवार को भी 25 ट्रेनों पर असर पड़ा था। सवाईमाधोपुर के मलारना स्टेशन और नीमोदा रेलवे स्टेशन के बीच गुर्जरों ने ट्रैक जाम कर दिया है। उन्होंने ट्रैक पर ही तंबू लगा लिया है और अलाव जलाकर बैठे हैं। इससे दिल्ली और मुंबई के बीच ट्रेनों का आवागमन बंद हो गया.

शनिवार को ये रद्द की गईं

19020 देहरादून-बांद्रा एक्सप्रेस
19021 बांद्रा टर्मिनस-लखनऊ एक्सप्रेस
12415 इंदौर-नई दिल्ली सुपारफास्ट एक्सप्रेस
12416 नई दिल्ली-इंदौर सुपारफास्ट एक्सप्रेस
12909 बांद्रा-निजामुद्दीन गरीब रथ

इनके अलावा नौ और ट्रेनों को रद्द किया गया है।

शुक्रवार को 25 ट्रेनें प्रभावित हुईं थीं

59812 आगरा फोर्ट-रतलाम- रद्द

54794 मथुरा-सवाई माधोपुर पैसेंजर आंशिक रद्द

12060 जनशताब्दी एक्सप्रेस, आंशिक रद्द

69155 रतलाम-मथुरा, आंशिक रद्द

59811 रतलाम-आगरा, आंशिक रद्द

20 ट्रेनों का मार्ग बदला गया
दिल्ली से आने वाली ट्रेनें बयाना में खड़ी की गईं

बैंसला के साथ प्रदर्शन कर रहे लोग कोटाली ट्रेक पर बैठे हैं। गुर्जर आंदोलन की शुरुआत के साथ ही रेलवे ने दिल्ली से आने वाली ट्रेनों को बयाना में खड़ा कर दिया है। सवाई माधोपुर गंगानगर में भी ट्रेनों को आगे जाने से रोक दिया गया है। अवध एक्सप्रेस को भी सवाई माधोपुर में रोक दिया गया है। रेलवे ने इन ट्रैक पर सभी ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया है।

बैंसला बोले- अब सीधे आरक्षण की चिट्‌ठी चाहिए

गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की अगुवाई में गुर्जरों ने ट्रैक रोका है। बैंसला ने कहा कि शुक्रवार शाम चार बजे तक का अल्टीमेटम दिया था, जो खत्म हो चुका है। इस बार समझौता नहीं होगा। सीधे आरक्षण की चिट्ठी चाहिए। उन्होंने आंदोलनकारियों से कहा है कि सरकारी संपत्ति का नुकसान नहीं हो। आम आदमी, महिलाएं और व्यापारी को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाया जाए। इससे पूर्व बैंसला ने महारना में ही महापंचायत करके आंदोलन की घोषणा की।

सरकार बातचीत के लिए तैयार

अशोक गहलोत ने कहा कि सरकार बातचीत के लिए तैयार है। इसके साथ अधिकारियों से पूरे मामले की जानकारी भी ली। वहीं बैंसला का कहना है कि किसी भी बातचीत के लिए सरकार को ट्रैक पर ही आना पड़ेगा।

तीन मंत्रियों की कमेटी बनाई
सरकार ने पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह, स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा और सामाजिक न्याय विभाग मंत्री भंवरलाल मेघवाल की कमेटी बनाई है। गुर्जर आंदोलन से ज्यादा प्रभावित भरतपुर और अजमेर संभाग ही हैं, इसलिए दोनों संभागों के प्रतिनिधित्व के रूप में विश्वेंद्र और रघु को गुर्जरों को मनाने का जिम्मा दिया गया है। भरतपुर में मौजूद विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि शनिवार सुबह सरकार के आला अफसरों को मीटिंग के लिए बुलाया है। इसमें तय होगा कि आंदोलन से किस तरह से निपटा जाए। गुर्जर चाहेंगे तो मैं ट्रैक पर जाने को तैयार हूं। मेघवाल व रघु शर्मा अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों में व्यस्तता के कारण देर रात तक भरतपुर नहीं पहुंचे थे।

सीएमओ में हुई मीटिंग

आंदोलन को देखते हुए सीएमओ में एक उच्च स्तरीय मीटिंग बुलाई गई है। इसमें डीजीपी कपिल गर्ग, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर एमएल लाठर, राजीव स्वरूप एसीएस होम मौजूद हैं। जिसमें गुर्जर आंदोलन पर आगे की रणनीति तैयार करने के लिए बैठक की। वहीं फीडबैक भी ले रहे हैं।

यूपी और एमपी से आया सुरक्षा बल

प्रशासन ने भी आंदोलन को देखते हुए भरतपुर, करौली, सवाई माधोपुर, दौसा और टोंक में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। यूपी और एमपी से सुरक्षा बल को बुलवाया गया है। रेलवे स्टेशन और पटरियों पर सुरक्षा के इंतजाम किए हैं। बता दें कि आंदोलन के लिए राजस्थान के कोने-कोने से गुर्जर समाज के लोग आए हैं।

8 जिलों में आरएसी की 17 कंपनियां तैनात

गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान प्रभावित इलाकों में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य सरकार ने 8 जिलों में राजस्थान सशस्त्र बल की 17 कंपनियों की तैनाती की है। उधर, सरकार के स्तर पर गुरुवार को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक में सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा की गई। इसमें गृह विभाग के प्रमुख अधिकारी भी मौजूद रहे।

गुर्जर समाज की मांग
गुर्जर समाज की मांग है कि सरकार सभी प्रक्रिया पूरी करके पांच प्रतिशत आरक्षण बैकलाग के साथ दे। इससे पहले 24 सितंबर 2015 को विधानसभा में एसबीसी विधेयक पारित हुआ था। राज्य सरकार ने 16 अक्टूबर 2015 को नोटिफिकेशन जारी करते हुए इसे लागू किया। ये 14 महीने चला और 9 दिसंबर 2016 को हाईकोर्ट ने खत्म किया। अब सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है।

पटरियों की तरह गुर्जर और सरकार

आरक्षण के लिए गुर्जरों का आंदोलन 13 साल पहले 2006 में शुरू हुआ। तब से लेकर अब तक वसुंधरा सरकार में 4 बार और गहलोत सरकार में अब दूसरी बार गुर्जर आंदोलन पर उतरे हैं। वसुंधरा सरकार में 3 बार ट्रैक जाम किया गया, गहलोत सरकार में दूसरी बार। 13 साल में 72 गुर्जरों ने जान दे दी। लेकिन वे वही खड़े हुए हैं।

  • 2006 : गुर्जरों को एसटी में शामिल करने की मांग पर पहली बार आंदोलन हुआ। हिंडौन में पटरियां उखाड़ी गईं।
  • नतीजा : भाजपा सरकार ने इस मामले में एक कमेटी बनाई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
  • 21 मई 07 : पीपलखेड़ा पाटोली में राजमार्ग रोका । 28 लोग मारे गए।
  • नतीजा : भाजपा सरकार से समझौता। चौपड़ा कमेटी बनी। कमेटी ने गुर्जरों को एसटी आरक्षण के दर्जे के लायक नहीं माना।
  • 23 मई 08 : पीलुकापुरा ट्रैक पर बयाना में रेल रोकी। 7 लोग मारे गए। दूसरे दिन सिकंदरा में हाईवे जाम, 23 लोग मारे गए।
  • नतीजा : भाजपा सरकार में 5% एसबीसी आरक्षण पर सहमति। हाईकोर्ट में अटका।
  • 24 दिसंबर 2010 : पीलुकापुरा में रेल रोकी गई।
  • नतीजा : कांग्रेस सरकार से 5% आरक्षण पर समझौता। मामला कोर्ट में था। ऐसे में 1% आरक्षण दिया। इससे ज्यादा पर कुल आरक्षण 50% से ज्यादा हो रहा था।
  • 21 मई 15 : पीलुकापुरा बयाना में आंदोलन।
  • नतीजा : भाजपा सरकार ने गुर्जर सहित 5 जातियों को 5% एसबीसी आरक्षण दिया। कुल आरक्षण 54% हुआ। हाईकोर्ट की रोक। अब 1% आरक्षण मिल रहा है।

754 में से 614 केस वापस ले लिए गए
13 साल में गुर्जर आरक्षण आंदोलन में 754 केस दर्ज हुए। इनमें से 105 कोर्ट में हैं। 35 मामलों की पुलिस जांच कर रही है। 614 केसों में या तो एफआर लग गई या केस वापस लिए गए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *