लंदन : ब्रिटेन के सबसे अमीर व्यक्ति जेम्स रेटक्लिफ ने यूके छोड़ने की तैयार कर ली है। वह मोनाको में बसेंगे। बताया जा रहा है कि वे चार अरब डॉलर (करीब 36 हजार 700 करोड़ रुपए) का टैक्स बचाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। भूमध्य सागर के किनारे बसे मोनाको को टैक्स बचाने वाले देश के रूप में जाना जाता है। रेटक्लिफ ब्रेग्जिट (ब्रिटेन का यूरोपीय यूनियन से अलग होना) के समर्थक रहे हैं। वह यूरोपीय यूनियन के कड़े नियमों का विरोध भी करते हैं।
रेटक्लिफ ब्रिटेन सरकार के साथ टैक्स बचाने के प्लान पर भी चर्चा कर रहे हैं। अगर इसमें उन्हें कामयाबी मिलती है तो वह और उनकी कंपनी के दो अफसरों एंडी क्यूरी और जॉन रीस को 10 अरब डॉलर की टैक्स फ्री रकम मिल सकती है।
रेटक्लिफ उस वक्त चर्चा में आए थे जब उन्होंने टैक्स को लेकर सख्त नियम बनाने पर यूरोपीय यूनियन (ईयू) को फटकार लगाई थी। साथ ही ईयू के ग्रीन टैक्स लगाने को बकवास करार देते हुए कहा था कि इससे यूरोप की कैमिकल इंडस्ट्री खत्म हो जाएगी।
वहीं, लिबरल डेमोक्रेट पार्टी के नेता विंस केबल ने जेम्स के देश छोड़कर जाने को गलत बताया। उन्होंने कहा कि हमारे हजारों लोग राजस्व विभाग की कार्रवाई से दिवालिया हो रहे हैं। रेवेन्यू डिपार्टमेंट छोटे पैमाने पर कर से बचने पर शुल्क लगाता है, जबकि रेटक्लिफ जैसी बड़ी मछलियां केवल कर देने को पूरी तरह से स्वैच्छिक मानती हैं।
रेटक्लिफ एक केमिकल कंपनी इनियोस के मालिक हैं। इसका सालाना टर्नओवर 45 अरब पाउंड (41 लाख करोड़ रुपए) है। कंपनी के 22 देशों में 18 हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं। कंपनी के प्रोडक्ट पानी साफ करने, टूथपेस्ट और एंटीबायोटिक्स बनाने, घरों की सुरक्षा और फूड पैकेजिंग में इस्तेमाल किए जाते हैं।
रेटक्लिफ को पहले सरकार की तरफ से मदद भी मिली थी। उन्होंने 2014 में एक गैस कंपनी स्थापित करने के लिए सरकार से 23 करोड़ पाउंड (करीब 2118 करोड़ रुपए) का लोन लिया था। ब्रेग्जिट के एक अन्य समर्थक जेम्स डायसन ने भी अपनी कंपनी का हेड ऑफिस यूके से सिंगापुर ले जाने का ऐलान किया है।