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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिला सियोल शांति पुरस्कार, 1.30 करोड़ रु. की सम्मान राशि गंगा सफाई के लिए दी

सियोल : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दक्षिण कोरिया के दौरे के दूसरे दिन सियोल शांति पुरस्कार से नवाजा गया। मोदी ने पुरस्कार में मिली 1.30 करोड़ की रकम को नमामि गंगे प्रोजेक्ट के लिए देने का ऐलान किया। भारत और दक्षिण कोरिया ने  6 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। मोदी सियोल शांति पुरस्कार पाने वाले 14वें व्यक्ति हैं। यह पुरस्कार 1988 में सियोल ओलिंपिक के सफल आयोजन के बाद शुरू किया गया था।

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अवॉर्ड पूरे भारत का है

  • मोदी ने कोरियन में ग्रीटिंग्स टू ऑल कहा। उन्होंने कहा कि यह अवॉर्ड सिर्फ मेरा नहीं बल्कि पूरे भारत का है। यह अवॉर्ड भारत की उन सफलताओं का है जो हमने 5 साल में हासिल कीं। यह अवॉर्ड वसुधैव कुटुम्बकम के संदेश के तौर पर है। यह अवॉर्ड उस देश के लिए है जहां हमें संस्कृति के कई अहम पहलू पढ़ाए जाते हैं। जहां पढ़ाया जाता है कि दुनिया में हर तरफ शांति हो। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के साल में अवॉर्ड पाकर गौरवान्वित हूं।
  • “मुझे जो इस सम्मान के साथ 1 करोड़ 30 लाख रुपए की सम्मान निधि मिली है, वह मैं नमामि गंगे योजना को समर्पित कर दूंगा। सियोल पीस प्राइज 24वें ओलिम्पिक गेम्स की याद में शुरू किए गए थे। भारत उस ओलिम्पिक को अच्छे से याद रखता है, क्योंकि यह महात्मा गांधी की जयंती पर खत्म हुए थे।”
  • “आज कट्टरपंथ और आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा हैं। दुनियाभर के करोड़ो लोग खाना, घर और स्वास्थ्य सुविधाओं के बिना रहने के लिए मजबूर हैं। अभी इसके लिए काफी कुछ किया जाना है। भारत इसके लिए वह सबकुछ कर रहा है जिसकी जरूरत है। भारत आज दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के तौर पर रफ्तार पकड़ रहा है।
  • “आज हमें खुद से पूछना चाहिए कि क्या हमारी योजनाएं उस आखिरी वंचित व्यक्ति तक पहुंच रही हैं। हमारा विकास दुनियाभर के विकास में योगदान देगा। कार्बन फुटप्रिंट्स सबसे कम होने के बावजूद भारत पर्यावरण संरक्षण में बड़ी भूमिका निभा रहा है।”
  • “अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हमने ऐसे देशों का साथ दिया है जो क्लीन एनर्जी के पक्षधर हैं। इंटरनेशनल सोलर अलायंस ऐसे ही एक जैसा सोचने वाले देशों का समूह है। हमने मानवाधिकार और आपदा राहत के लिए काम करने वाले सभी जरूरतमंद देशों की मदद की है। हमें गर्व है कि भारत में हर समुदाय अलग-अलग संस्कृति के लोग साथ रहते हैं।”
  • “कोरिया की तरह ही भारत को भी बंटवारे और उसके बाद सीमापार आतंक से पीड़ित रहा है। इसके चलते शांति से विकास की हमारी कोशिशों को झटका भी लगा है। समय आ चुका है कि सभी देश आतंकी विचारधारा के खिलाफ लड़ाई में एकजुट हों। इसके जरिए ही हम नफरत को प्रेम में, तबाही को विकास में और हिंसा के परिदृश्य को शांति में बदल सकेंगे।”
  • “दक्षिण कोरिया के प्रेसिडेंट मून को उत्तर कोरिया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच विवाद खत्म करने के लिए क्रेडिट दिया जाना चाहिए। मुझे विश्वास है कि कोरियाई लोगों की कोशिश से जल्द ही कोरियाई प्रायद्वीप पर शांति होगी।”

इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आज सियोल शांति पुरस्कार प्राप्त करना मेरे लिए बहुत बड़े सम्मान का विषय होगा. मैं यह सम्मान अपनी निजी उपलब्धियों के तौर पर नहीं बल्कि भारत की जनता के लिए कोरियाई जनता की सद्भावना और स्नेह के प्रतीक के तौर पर स्वीकार करूंगा.

उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष अयोध्या में आयोजित ‘दीपोत्सव’ महोत्सव में First Lady किम की मुख्य अतिथि के रूप में भागीदारी हमारे लिए सम्मान का विषय था. उनकी यात्रा से हज़ारों वर्षों के हमारे सांस्कृतिक संबंधों पर एक नया प्रकाश पड़ा, और नई पीढ़ी में उत्सुकता और जागरूकता का वातावरण बना.

अब तक 14 लोगों को मिला पुरस्कार

साल किसे मिला पुरस्कार देश
1990 जुआन एंटोनियो समारांच स्पेन
1992 जॉर्ज शुल्ज अमेरिका
1996 मेडिसंस संस फ्रंटियर्स स्विट्जरलैंड
1998 कोफी अन्नान घाना
2000 सदाको ओगाता जापान
2002 ऑक्सफैम (संस्था) यूके
2004 वाक्लाव हैवल चेक रिपब्लिक
2006 मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश
2008 अब्दुल सत्तार ईदी पाकिस्तान
2010 जोंस एंटोनियो एब्रियो वेनेजुएला
2012 बान की-मून द.कोरिया
2014 एंजेला मर्केल जर्मनी
2016 डेनिस मुकवेज कॉन्गो
2018 नरेंद्र मोदी भारत

PM मोदी ने गुरुवार को सियोल के योनसेई विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया. इस अवसर पर कोरिया गणराज्य के राष्ट्रपति मून जे-इन प्रथम महिला किम जूंग-सूक और संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की-मून उपस्थित थे.

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि बापू की प्रतिमा का अनावरण करना सम्मान की बात है. उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जबकि हम बापू की 150वीं जयंती मना रहे हैं, इसका विशेष महत्व हो जाता है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि बापू के विचारों और सिद्धांतों में आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन जैसी मानव जाति के समक्ष आज मौजूद दो सबसे बड़ी चुनौतियों से निपटने की ताकत है.

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