नई दिल्ली : अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता का रास्ता अपनाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने शुक्रवार को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद के सर्वमान्य समाधान के लिए यह बड़ा फैसला दिया। ऐसे में साफ है कि राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मामले को कोर्ट से बाहर सुलझाने की हरसंभव कोशिश की जाएगी। SC ने इस बाबत 3 सदस्यीय पैनल भी गठित कर दिया है।
Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: Supreme Court says mediation proceedings should be held on-camera. Mediation process will be held in Faizabad. It will be headed by Justice FM Kaliifullah and also comprise Sri Sri Ravi Shankar and senior advocate Sriram Panchu. pic.twitter.com/6gx9FSogG2
— ANI (@ANI) March 8, 2019
इसके साथ ही कोर्ट ने फैजाबाद में ही मध्यस्थता को लेकर बातचीत करने के निर्देश दिए हैं। जब तक बातचीत का सिलसिला चलेगा, पूरी बातचीत गोपनीय रखी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि पैनल में शामिल लोग या संबंधित पक्ष कोई जानकारी नहीं देंगे। इसको लेकर मीडिया रिपोर्टिंग पर भी पाबंदी लगा दी गई है।
Justice(Retd)FM Ibrahim Kalifullah on Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: I understand SC has appointed a mediation committee headed by me. I’m yet to received order copy.I can say if committee has been constituted we’ll take every effort to resolve the issue amicably pic.twitter.com/AgSfBzfuGU
— ANI (@ANI) March 8, 2019
कैमरे के सामने होगी प्रक्रिया
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने साफ कहा है, ‘कोर्ट की निगरानी में होने वाली मध्यस्थता की प्रक्रिया गोपनीय रखी जाएगी।’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मध्यस्थता की प्रक्रिया कैमरे के सामने होनी चाहिए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 6 हफ्ते बाद होगी।
Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: Supreme Court says
mediation process has to start within four weeks and to be completed within eight weeks. pic.twitter.com/zWY82T09Xx— ANI (@ANI) March 8, 2019
फैजाबाद में सुविधाएं मुहैया कराएगी UP सरकार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर जरूरी हुआ तो मध्यस्थ पैनल में किसी और को भी शामिल कर सकते हैं। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से फैजाबाद में मध्यस्थों को सभी सुविधाएं प्रदान करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही अगर जरूरी हुआ तो मध्यस्थ आगे कानूनी सहायता भी ले सकते हैं।
कोर्ट ने कहा था, भावनाओं से जुड़ा है मामला
बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह केवल जमीन का नहीं बल्कि लोगों की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा मामला है। संविधान पीठ में CJI के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को प्रमुखता से कहा था कि मुगल शासक बाबर ने जो किया उसपर उसका कोई नियंत्रण नहीं है और उसका सरोकार सिर्फ मौजूदा स्थिति को सुलझाने से है।