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70 से ज्यादा देशों में रंग, पानी और आग से ही वसंत का स्वागत करते हैं, होली भी वसंतोत्सव

भोपाल: होली दुनिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक उत्सव है। यह राग-रंग और आग का पर्व है। दुनियाभर के 70 से ज्यादा देशों या सभी महाद्वीपों में पानी और आग से जुड़े पर्व मनाए जाते हैं। इनमें सबसे पुरानी हमारी होली मानी जाती है। ज्यादातर सभ्यताओं में आग और पानी से जुड़े पर्व वसंत के स्वागत में हैं। होली भी वसंत का रूप है। इसे वसंतोत्सव भी कहते हैं।

  • मिस्र : 13 अप्रैल की रात आग में लोग अपने पूर्वजों के पुराने कपड़े जलाते हैं

    बुराई पर अच्छाई की जीत की होलिका दहन जैसी प्रथा कई देशों में है। मिस्र में 13 अप्रैल की रात आग में लोग अपने पूर्वजों के पुराने कपड़े जलाते हैं। जर्मनी में ईस्टर के दिन बुराई का पुतला बनाकर जलाया जाता है। अफ्रीका में ‘ओमेना वोंगा’ मनाया जाता है। इसके पीछे अन्यायी राजा को जिंदा जलाने की कहानी प्रचलित है।

  • इटली : रेडिका पर्व पर आग की परिक्रमा के बाद रंग खेला जाता है

    13 अप्रैल को थाईलैंड में नव वर्ष सौंगक्रान शुरू होता है। म्यांमार में इसे थिंगयान यानी जल पर्व कहते हैं। अफ्रीकी देशों में 16 मार्च को सूर्य का जन्म दिन रंग खेलकर मनाया जाता है। इटली में रेडिका पर्व पर आग की परिक्रमा के बाद रंग खेला जाता है। रोम में यह पर्व सेंटरनेविया और यूनान में मेपोल के नाम से चर्चित है।

  • भारत: भारत में 1100 साल से पिचकारी से रंग खेलने के प्रमाण मिलते हैं।

    1896 में नासा के इंजीनियर लॉनी जॉनसन ने पिचकारी का पेटेंट कराया। पर हमारे यहां तो 1100 साल से पिचकारी से रंग खेलने के प्रमाण मिलते हैं। ये बांस से बनती थी। कर्नाटक के बेल्लूर में 10वीं सदी के चिन्नकेशवा मंदिर की एक मूर्ति में महिला पिचकारी से होली खेल रही है। 15वीं सदी के बाद देश की कई पेंटिंग में पिचकारी दिखती है।

  • भांग-ठंडाई: 1893 में अंग्रेजों ने रिपोर्ट में कहा- होली और शिव की उपासना में उपयोग होता है

    अथर्ववेद में भांग को भंगा और होली को होलका कहा गया है। इसका उपयोग शिव के बारातियों ने किया था। ब्रिटिश काल में भारत में भांग का इस्तेमाल हो रहा था। इसे देखते हुए 1893 में अंग्रेजों ने इंडियन हेम्प ड्रग्स कमीशन का गठन किया। रिपोर्ट में कहा गया कि भांग का इस्तेमाल होली और शिव की पूजा में होता है।

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