वाशिंगटन : आतंकवाद के मुद्दे पर अमेरिका ने चीन को खरीखोटी सुनाई है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा कि मुसलमानों के मुद्दे पर चीन के पाखंड को दुनिया बर्दाश्त नहीं कर सकती है। एक तरफ चीन अपने यहां मुसलमानों को डिटेंशन कैंप में रखे हुए है तो दूसरी तरफ उग्र इस्लामी आतंकी संगठनों को बचाता रहता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जब आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने की दिशा में आगे बढ़ता है तो चीन रुकावट बन जाता है।
माइक पोंपियो ने कहा कि हाल ही में जब आतंकी मसूद अजहर का अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने की कवायद शुरू हुई तो चीन के रुख को दुनिया ने देखा। फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका की तरफ से मसूद को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने की दिशा में प्रस्ताव लाया गया। लेकिन चीन ने पहले की तरह तकनीकी आधार पर वीटो लगा दिया। मसूद अजहर को अगर अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किया गया होता तो उसकी संपत्तियों और आवाजाही पर लगाम लग जाती। लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
United States Secretary of State Mike Pompeo: China has detained more than one million Uighurs, ethnic Kazakhs, and other Muslim minorities in internment camps in Xinjiang since April 2017. China must release all those arbitrarily detained and end its repression. (File pic) pic.twitter.com/4amMJOdzqy
— ANI (@ANI) March 28, 2019
इस बीच एक बार फिर मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के लिए अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने प्रस्ताव बनाया है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि मसूद अजहर का सबंध आईएस या अलकायदा से है। इस प्रस्ताव में बताया गया है कि अजहर किस तरह से जैश के नापाक इरादों को अंजाम देने के लिए न केवल वित्तीय मदद करता है, बल्कि योजना बनाने के साथ साथ आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने का भी काम करता है।
Associated Press: Draft resolution’s annex says JeM’s Azhar is associated with Islamic State or al-Qaida for “participating in financing, planning, facilitating, preparing, or perpetrating” or “supplying, selling or transferring arms&related material” or supporting acts of JeM https://t.co/k52LG0JQ0M
— ANI (@ANI) March 28, 2019
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि मसूद अजहर के मुद्दे पर चीन को आखिर क्या परेशानी है। जब दुनिया के बड़े मुल्क इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि मसूद अजहर विश्वशांति के लिए खतरा बन चुका है। अमेरिका ने कहा कि फ्रांस और ब्रिटेन की तरफ से अजहर के संबंध में पुख्ता कदम उठाया गया । लेकिन चीन की वजह से अजहर को आतंकी घोषित करने की मुहिम को झटका लगा। ये बात अलग है कि हम अपने इस प्रयास को जारी रखेंगे।
United States Secretary of State Mike Pompeo: The world cannot afford China’s shameful hypocrisy toward Muslims. On one hand, China abuses more than a million Muslims at home, but on the other it protects violent Islamic terrorist groups from sanctions at the UN. https://t.co/PIgolKizKd
— ANI (@ANI) March 28, 2019
पोम्पिओ ने आरोप लगाया कि चीन अप्रैल 2017 से शिनजियांग प्रांत में नजरबंदी शिविरों में 10 लाख से ज्यादा उइगरों, कजाखों और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों को हिरासत में ले चुका है। उन्होंने कहा, “अमेरिका उनके और उनके परिवारों के साथ खड़ा है। चीन को हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा करना चाहिए और उनके दमन को रोकना चाहिए। पोम्पिओ ने बुधवार को शिनजियांग में अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ चीन के “दमन और हिरासत अभियान” से बचने वालों और उनके परिवार के सदस्यों से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा, “मैं चीन से इन नीतियों को समाप्त करने और मनमाने ढंग से हिरासत में लिए गए सभी लोगों को छोड़ने की अपील करता हूं।”
वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद (जेआईएम) के प्रमुख (मसूद अजहर) को ब्लैक लिस्ट करने के लिए बुधवार को एक कदम आगे बढ़ाया, क्योंकि दो हफ्ते पहले चीन ने उसका बचाव किया था। संयुक्त राज्य अमेरिका ने ब्रिटिश और फ्रांस के समर्थन से एक प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया। राजनायिकों ने बताया कि 15 सदस्यीय परिषद जैश चीफ मसूद अजहर को नामित करेगा। जिससे उसकी यात्रा करने और संपत्तियों को फ्रीज किया जाएगा।