लंदन : ब्रिटिश सांसदों ने प्रधानमंत्री थेरेसा मे की ब्रेग्जिट डील को तीसरी बार नामंजूर कर दिया। इसके पक्ष में 286 और विरोध में 344 वोट पड़े। अंतर 58 वोटों का रहा, जो पहले हुई दो वोटिंग से कम है। इससे पहले थेरेसा मे इसी साल 15 जनवरी और 12 मार्च को भी ब्रेग्जिट का मसौदा संसद में पेश कर चुकी हैं। लेकिन, इसे भी सांसदों ने नकार दिया था।
तीसरा ब्रेग्जिट प्लान फेल होने के बाद संभव है कि 12 अप्रैल को ब्रिटेन बिना किसी डील के ईयू से अलग हो जाए। ब्रिटिश संसद में प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने यह संकेत दिए हैं। ईयू के ताजा स्टेटमेंट में भी ‘नो डील ब्रेग्जिट’ की आशंका जताई गई है।
टस्क ने ट्वीट किया, ‘हाउस ऑफ कॉमन्स द्वारा ब्रेग्जिट डील की अस्वीकृति को देखते हुए, मैंने 10 अप्रैल को यूरोपीय परिषद को बुलाने का फैसला किया है’।
In view of the rejection of the Withdrawal Agreement by the House of Commons, I have decided to call a European Council on 10 April. #Brexit
— Donald Tusk (@eucopresident) March 29, 2019
ब्रेग्जिट में सबसे बड़ी समस्या
ब्रेग्जिट की सबसे बड़ी समस्या बैकस्टॉप है। यह नॉर्दन आयरलैंड (यूके का हिस्सा) और रिपब्लिक ऑफ आयरलैंड के बीच बॉर्डर की वापसी से जुड़ा मुद्दा है।
थेरेसा के प्लान में आयरिश बॉर्डर को खुला रखा गया है, यानी कोई चेक पॉइंट नहीं, कोई कैमरा नहीं। यह नॉर्दन आयरलैंड में व्यापार और लोगों की आवाजाही आसान बनाए रखने के लिए किया गया है।
यूके और ईयू दोनों ही इस बात पर सहमत हैं, लेकिन कई ब्रिटिश सांसद इसके विरोध में हैं। इनका कहना है कि इससे यूके का नॉर्दन आयरलैंड पर अपना अधिकार कम होगा और वहां ईयू के नियम भी लागू रहेंगे।
15 जनवरी को थेरेसा मे ने ब्रेग्जिट का मसौदा संसद में पेश किया था, जिसे 230 वोटों से नकार दिया गया। इसके पक्ष में महज 202 वोट गिरे, जबकि विरोध में 432 वोट पड़े।
12 मार्च को थेरेसा मे ने कुछ बदलाव के साथ दूसरा मसौदा संसद में पेश किया, लेकिन इसे भी 242 के मुकाबले 391 वोटों से खारिज कर दिया गया।