श्रीहरिकोटा : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने पीएसएलवी C-45 रॉकेट के जरिए सोमवार सुबह श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से EMISAT समेत 29 सैटलाइट को सफलतापूर्वक उनकी कक्षा में स्थापित कर दिया। इन उपग्रहों में सबसे खास EMISAT यानी इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सैटलाइट है जिसे अंतरिक्ष में भारत की ‘आंख और कान’ कहा जा रहा है। इसरो के मुताबिक विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम को मापने वाले EMISAT को सुबह 9.44 मिनट पर कक्षा में स्थापित कर दिया गया।
WATCH NOW –#PSLVC45 #EMISAT
Separation of 28 International Customer Satellites & addressing by #ISRO Chairman & other dignitaries – LIVE from #SHAR, #Sriharikota on @DDNational & Live-Stream on https://t.co/lv9oiwpiwl#ISROMissions @isro @PIB_India pic.twitter.com/xYoAHibTOM
— Doordarshan National (@DDNational) April 1, 2019
अफगानिस्तान से लेकर असम तक फैले भारतवर्ष पर अपनी पैनी नजर रखने वाले मौर्य शासक चंद्रगुप्त मौर्य के सलाहकार आचार्य चाणक्य का मानना था कि किसी भी विशाल देश में सफलतापूर्व राज करने के लिए गुप्तचरों का प्रभावी नेटवर्क होना बेहद जरूरी होता है। उनका कहना था कि गुप्तचर किसी भी राजा के ‘आंख और कान’ होते हैं। कौटिल्य के मुताबिक, गुप्तचर दो कारणों आतंरिक निगरानी और युद्ध को देखते हुए बेहद अहम होते हैं।
ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी के महान कूटनीतिज्ञ कौटिल्य के इसी विचार से प्रेरित होकर भारत सरकार के रक्षा अनुसंधान विकास संगठन ने ‘प्रॉजेक्ट कौटिल्य’ शुरू किया था। जानकारों के मुताबिक करीब 8 वर्षों की मेहनत के बाद वैज्ञानिकों ने 436 किलोग्राम वजनी EMISAT को बनाने में सफलता हासिल की है। इसे डीआरडीओ की हैदराबाद लैब ने ‘प्रॉजेक्ट कौटिल्य’ के तहत बनाया है। इसे बनाने का उद्देश्य रेडार नेटवर्क की निगरानी करना है।
EMISAT के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत सरकार ने इसके बारे में बहुत ज्यादा जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। विशेषज्ञों के मुताबिक कि EMISAT इजरायल के प्रसिद्ध जासूसी उपग्रह ‘सरल’ पर आधारित है। ये दोनों ही सैटलाइट एसएसबी-2 प्रोटोकॉल को फॉलो करते हैं। यह प्रोटोकॉल भारत जैसे विशाल देश में इलेक्ट्रानिक निगरानी क्षमता के लिए बेहद जरूरी है।
EMISAT में रेडार की ऊंचाई को नापने वाला डिवाइस AltiKa लगा है जिसे डीआरडीओ के प्रॉजेक्ट ‘कौटिल्य’ के तहत विकसित किया गया है। इस उपग्रह की सबसे बड़ी खासियत सिग्नल की जासूसी करना है। इसमें जमीन से सैकड़ों किलोमीटर की ऊंचाई पर रहते हुए जमीन पर संचार प्रणालियों, रेडार और अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरणों से निकले सिग्नल को पकड़ना है। जासूसी उपग्रह EMISAT जमीन पर स्थित बर्फीली घाटियों, बारिश, तटीय इलाकों, जंगल और समुद्री की लहरों को बहुत आसानी नापने की क्षमता रखता है।
भारत ने कुछ दिन पहले 300 किमी दूर अंतरिक्ष में अपने एक लाइव सैटलाइट को मिसाइल से मार गिराया था। इस परीक्षण के जरिए भारत ने अपने पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान को संदेश दिया था कि वह अंतरिक्ष में किसी भी दुस्साहस का जवाब देने में सक्षम है। अब EMISAT के जरिए भारत ने अंतरिक्ष में एक ऐसी ताकत हासिल कर ली है जो जंग के मैदान का नक्शा ही बदल सकता है।
किसी भी देश के साथ युद्ध की सूरत में सबसे जरूरी होता है कि दुश्मन देश के रेडार को ढूंढकर उसे नष्ट करना ताकि उस पर हवाई हमला करते समय एयर डिफेंस सिस्टम उसके विमानों को निशाना न बना सकें। EMISAT इस काम को बखूबी अंजाम दे सकता है। EMISAT पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान में चल रही है गतिविधियों पर भी निगरानी रखने में सक्षम है। इसके अलावा तटीय क्षेत्रों में निगरानी रखना अब और आसान हो जाएगा। कुल मिलाकर कहें तो EMISAT अंतरिक्ष में भारत की आंख और कान बनने जा रहा है।
🇮🇳 #ISROMissions 🇮🇳
A glance at today’s #PSLVC45 mission.
Our updates will continue. pic.twitter.com/eHhkf8RYAS
— ISRO (@isro) April 1, 2019