भोपाल : राज्य के निजी डेंटल कॉलेजों में 78 डेंटिस्ट ने शैक्षणिक सत्र 2016-17 में एमडीएस कोर्स में अवैध तरीके से एडमिशन लिए थे। ये डेंटिस्ट आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस (एम्स) दिल्ली द्वारा कराई गई आल इंडिया प्री पीजी टेस्ट में भी शामिल नहीं हुए थे। काॅलेज संचालकाें ने इन स्टूडेंट्स के एडमिशन काॅलेज लेवल काउंसलिंग से किए थे। जबकि नियमानुसार इन खाली सीटाें पर संचालक चिकित्सा शिक्षा (डीएमई) द्वारा कराई गई स्टेट काेटा प्रीपीजी काउंसलिंग से उम्मीदवाराें काे एडमिशन दिया जाना चाहिए था।
यह खुलासा एडमिशन एंड फी रेगुलेटरी कमेटी (AFRC) ने अपनी जांच रिपाेर्ट में किया है। कमेटी काे मध्यप्रदेश हाईकाेर्ट ने निजी डेंटल काॅलेजाें में संचालित एमडीएस काेर्स में शैक्षणिक सत्र 2016-17 में काॅलेज लेवल काउंसलिंग से हुए एडमिशन की जांच करने के निर्देश दिए थे।
मेडिकल यूनिवर्सिटी ने की एडमिशन निरस्त करने की सिफारिश
एएफआरसी के अफसराें ने बताया कि भाेपाल, इंदाैर अाैर जबलपुर के प्राइवेट डेंटल काॅलेजाें में शैक्षणिक सत्र 2016-17 में 78 डेंटिस्ट ने काॅलेज लेवल काउंसलिंग से एडमिशन लिए थे। मध्यप्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी ने नियमाें के अनुसार नहीं हाेने के कारण ये एडमिशन निरस्त करने की सिफारिश तत्कालीन संचालक चिकित्सा शिक्षा से की थी। साथ ही सभी के नामांकन की प्रक्रिया स्थगित कर दी थी। मेडिकल यूनिवर्सिटी की इस कार्रवाई के खिलाफ मध्यप्रदेश हाईकाेर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।
इसके बाद हाईकाेर्ट ने मामले की जांच एएफआरसी काे साैंपी थी।
जांच रिपोर्ट भेजी: एएफआरसी चैयरमेन कमलाकर सिंह की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने मंगलवार काे अपनी जांच रिपाेर्ट मध्यप्रदेश हाईकाेर्ट काे भेज दी। इसमें 78 डेंटिस्ट के एमडीएस काेर्स में हुए एडमिशन अवैध ठहराए गए हैं। एएफआरसी चैयरमेन कमलाकर सिंह की अध्यक्षता वाली जांच समिति में डीएमई डाॅ. उल्का श्रीवास्तव, रश्मि अग्रवाल, डाॅ. सुषमा दुबे अाैर पंकज शर्मा काे सदस्य बनाया गया था।