भोपाल : मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कांग्रेस के ‘हम निभाएंगे’ घोषणा पत्र को भारत के समग्र विकास का ऐतिहासिक दस्तावेज बताया है। नाथ ने कहा है घोषणा पत्र गरीब, किसान और नौजवानों के लिए संजीवनी बूटी साबित होगा। कांग्रेस के सत्ता में आने पर देश के 20 प्रतिशत गरीब गरीबी के अभिशाप से मुक्त होकर सम्मानित जीवन जी पाएंगे। इन वर्गों की खुशहाली से देश की तस्वीर बदलेगी।
नाथ ने कहा कि हमारा किसान जिस पर देश की अर्थव्यवस्था निर्भर है उनकी कर्जमाफी करके गांधी ने उनके भविष्य को संवारने का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कर समानता और सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कम उठाया गया है। घोषणा पत्र में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6 प्रतिशत शिक्षा के क्षेत्र में एवं 3 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करने का वादा किया गया है। आदिवासी अनुसूचित जाति के वर्गों के हित में वन अधिकार अधिनियम को अक्षरशः लागू किया जाएगा। एक टैक्स दर की बात , जीएसटी को सरल व आसान बनाने का वादा, निजता व स्वतंत्रता की रक्षा का वादा, संस्थाओं की स्वायत्तता की बहाली जैसे जनहितकारी मुद्दों को ‘हम निभाएंगे’ घोषणा पत्र में शामिल करके पूरे देश के सर्वांगीण विकास का एक सशक्त विजन डॉक्यूमेंट देश की जनता के सामने रखा है।
कांग्रेस ने किया देशद्रोह की धारा समाप्त करने का वादा
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि कांग्रेस का घोषणा-पत्र तो देश की सुरक्षा पर क्रूरतम प्रहार है। ऐसा लगता है कि यह किसी राष्ट्रवादी राजनीतिक दल का वचन-पत्र न होकर दुश्मन देश द्वारा भारत और उसकी सेनाओं को नीचा दिखाने के लिए तैयार किया गया प्लान है। देश की सुरक्षा और कश्मीर जैसे संवदेनशील मामले को लेकर कांग्रेस ने जो बातें कही हैं, उनसे लगता है कि शायद कांग्रेस पाकिस्तान और कश्मीरी अलगाववादियों के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती है।
उसने देशद्रोह की धारा 124-ए हटाने की बात कही है, जिससे स्पष्ट होता है कि कांग्रेस का हाथ देशद्रोहियों के साथ है। कांग्रेस ने अफस्पा हटाने की भी बात कही है, साफ है कि वह कश्मीर में सेना के अधिकारों को कम करेगी। ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने कश्मीर में अलगाववादियों एवं आतंकवादियों से समझौता कर लिया है।
भारतीय संसद ने “अफस्पा” यानी आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट 1958 को लागू किया, जो एक फौजी कानून है, जिसे “डिस्टर्ब” क्षेत्रों में लागू किया जाता है, यह कानून सुरक्षा बलों और सेना को कुछ विशेष अधिकार देता है। अफस्पा को 1 सितंबर 1958 को असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड सहित भारत के उत्तर-पूर्व में लागू किया गया था, इन राज्यों के समूह को सात बहनों के नाम से जाना जाता है। इसे भारतीय संघ से अलग पूर्वोत्तर राज्यों में हिंसा रोकने के लिए लागू किया गया था। बाद में पंजाब और चंडीगढ़ भी इस अधिनियम के दायरे में आए और 1997 में इस कानून को वहाँ पर समाप्त कर दिया गया। अफस्पा 1990 में, जम्मू और कश्मीर राज्य के लिए लागू किया गया था और तब से यह कार्यान्वित है।