भोपाल: स्वास्थ्य प्रबंधन संस्थान को बीएसी नर्सिंग और पोस्ट बेसिक नर्सिंग परीक्षा का केन्द्र बनाया गया है। यह परीक्षा दो पालियों में आयोजित की जा रही है। पहला सत्र सुबह नौ से दोपहर 12 बजे और दूसरा सत्र दोपहर दो से शाम पांच बजे तक का है। इन परीक्षाओं में एक हजार से अधिक छात्र-छात्राएं शामिल हो रहे हैं। मजेदार बात यह है कि इस परीक्षा केन्द्र पर लिपिक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की ड्यूटी पर्यवेक्षक के रूप में लगा दी गई है। ऐसे लगभग दो दर्जन कर्मचारी यहां तैनात किए गए हैं। गौरतलब है कि इनमें से अधिकांश कर्मचारी हायर सेकंडरी अथवा हाईस्कूल पास हैं। जबकि यूजी स्तर की इस परीक्षा में कम से कम असिस्टेंट प्रोफेसर या उसे बड़े अधिकारी को पर्यवेक्षक बनाया जाना चाहिए।
नर्सिंग कॉलेजों का सबसे बड़ा हब ग्वालियर में है। शैक्षणिक सत्र 2017-18 में यहां 150 से अधिक नर्सिंग कॉलेज हुआ करते थे, जो छात्रों को नकल से पास कराने की गारंटी देते थे। चिकित्सा शिक्षा विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानिया ने अपनी निगरानी में नए नियम तैयार कराए। इसके बाद जीवाजी यूनिवर्सिटी और अन्य सरकारी संस्थानों में परीक्षा आयोजित करानी शुरू कर दीं। इससे नकल पर लगाम लगी और छात्रों का रिजल्ट बिगड़ गया। परीक्षा में पारदर्शिता बरतते हुए अब सरकारी संस्थानों में ही ये परीक्षाएं आयोजित कराई जा रही हैं, ताकि स्टूडेंट्स नकल न कर सकें।
संस्थान की कंप्यूटर लैब में चल रही परीक्षा देते परीक्षार्थी।
यह गंभीर मामला है, विभाग को पत्र लिखेंगे
परीक्षा में कम से कम असिस्टेंट प्रोफेसर की ड्यूटी लगाई जानी चाहिए। ऐसा न होने की स्थिति में क्लेरिकल स्टाफ की मदद लेकर परीक्षा कराई जा सकती है, लेकिन वेल्डर-मैकेनिक की ड्यूटी लगाना गंभीर मामला है। हम इस मामले में स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग करेंगे। डॉ. आरएस शर्मा, कुलपति, मध्यप्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी, जबलपुर
विषय नहीं जानता स्टाफ
हमने वेल्डर, मैकेनिक जैसे स्टाफ की ड्यूटी इस कारण लगाई है, क्योंकि वे इस विषय के जानकार नहीं हैं। ऐसे में वे छात्रों को नकल नहीं करा सकते हैं। हम उनकी ड्यूटी इस परीक्षा के लिए लगा सकते हैं। आपको किसी ने गलत जानकारी दी है। डॉ. एके दीक्षित, डायरेक्टर, राज्य स्वास्थ्य प्रबंधन एवं संचार संस्थान