नई दिल्ली : भारत ने चीन की तरफ से मिले दूसरे बेल्ट ऐंड रोड फोरम का निमंत्रण ठुकरा दिया है। यह मीटिंग इसी महीने होनेवाली है। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को विश्वस्त सूत्रों के हवाले से यह जानकारी मिली है। भारत ने ऐसा दूसरी बार किया है जब चीन के बेल्ट ऐंड रोड फोरम का न्योता ठुकरा दिया हो।
इससे पहले भारत ने 2017 में भी भारत ने चीन के बेल्ट ऐंड रोड फोरम का बहिष्कार किया था। भारत का रुख इसे लेकर स्पष्ट है कि चीन का यह बेल्ट ऐंड रोड प्रॉजेक्ट (बीआरआई) भारत की संप्रभुता का उल्लंघन करता है। चीन की पाकिस्तान के साथ मिलकर महत्वाकांक्षी चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर का भारत विरोध करता रहा है। यह प्रॉजेक्ट विवादित गिलगित-बालटिस्तान क्षेत्र से होकर जाता है।
For the second time in a row, India has turned down an official invite from Beijing to attend their Belt and Road Initiative meet.https://t.co/sPJKkQhA5p
— The Quint (@TheQuint) April 8, 2019
चीन को ऐसी उम्मीद थी कि भारत बीआरआई पर अपने स्टैंड में बदलाव लाएगा और बीआरआई समिट का हिस्सा बनेगा। पिछले साल संबंधों में आए बदलाव के बाद चीन को ऐसी उम्मीद थी। 2018 अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की वुहान में हुई अनौपचारिक मुलाकात के बाद चीन को भारत से इस समिट में प्रतिनिधि भेजने की उम्मीद थी।
चीनी प्रशासन के जरिए विदेश मंत्रालय को समिट में हिस्सा लेने का न्यौता मिला था। भारत ने फिर एक बार सीपीईसी को लेकर चिंता जताते हुए इसमें हिस्सा लेने से इनकार कर दिया। माना जा रहा है कि पेइचिंग में इस समिट में कोई भारतीय प्रतिनिधि सिर्फ पर्यवेक्षक की भूमिका में भी समिट में हिस्सा नहीं लेगा।
बता दें कि बीआरआई समिट इस बार ऐसे वक्त में हो रहा है जब चीन प्रॉजेक्ट के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर काम शुरू कर रहा है। हालांकि, भारत कोई अकेला एशियाई देश नहीं है जो इस प्रॉजेक्ट के विरोध में हो। श्री लंका, मालदीव और यहां तक पाकिस्तान भी दूसरे देशों में चीन के इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण का विरोध कर रहे हैं। बहुत से विश्लेषक भी चीन के इस कर्ज देने की नीति को नए तरह के औपनिवेशिककरण मान रहे हैं। भारत भी लगातार चीन के कर्ज देने की नीति का विरोध करता रहा है।