चीन का यह सी-ब्रिज भारत के सबसे बड़े सी ब्रिज बांद्रा वर्ली सी लिंक ब्रिज से करीब 10 गुना बड़ा है| मंगलवार को चीन में दुनिया का सबसे लंबा ‘सी ब्रिज’ यातायात के लिए खोल दिया गया| चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने झुहेई में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में इसका उद्घाटन किया। पुल को सामान्य यातायात के लिए बुधवार से खोला जाएगा। पुल शुरू होने के बाद चीन से हांगकांग पहुंचने में तीन घंटे की जगह सिर्फ 30 मिनट लगेंगे।
यह पुल दक्षिण चीन सागर पर पर्ल नदी डेल्टा के पूर्वी और पश्चिमी छोर को जोड़ेगा। इसका निर्माण 2009 में शुरू हुआ था। इसकी लंबाई 34 मील यानी 55 किमी है और यह हांगकांग और मकाऊ के साथ ही चीन के झुहाई शहर को जोड़ेगा|
इस पुल को बनाने में बहुत मेहनत लगी है, इसके लिए 6 साल तक प्लानिंग की गई| 8 साल पुल बनाने के लिए काम हुआ| यह पुल छह लेन का है, नौ साल से बन रही इस पुल को बनाने में एफिल टावर के मुकाबले 60 गुना ज्यादा स्टील खर्च हुआ है। और इसका कुछ हिस्सा सुरंगनुमा है। इसे बनाने के दौरान एक अंडरग्राउंड सुरंग भी खोदी गई ताकि समुद्र जहाजों का रूट बाधित न हो| यह 22.9 किमी समुद्र के ऊपर तो 6.7 किमी सुरंग से होकर गुजरता है। इस सुरंग की गहराई 4.4 मीटर है। इसके अलावा 625 मीटर क्षेत्रफल वाला एक नकली द्वीप भी समुद्र के बीच बनाया गया ताकि आसानी से पुल बन सके|
इस सी ब्रिज को बनाने की इंजीनियरों की तकनीक किसी को भी इंप्रेस कर देगी| यह पुल चीन के ग्रेटर बे इलाके में व्यापार को बढ़ावा देगा| चीन मानता रहा है कि यह इलाका एक बड़ा इकॉनमिक हब बन सकता है|
इन शहरों के बीच यात्रा में लगने वाले वक्त को यह ब्रिज बहुत कम कर देगा| इससे चीन से सामान को हांगकांग एयरपोर्ट ले जाना बहुत आसान हो जाएगा| जहां से इस सामान को आसानी से दुनिया भर में भेजा जा सकेगा| हांगकांग एयरपोर्ट माल ढुलाई के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट है|
पुल निर्माण शुरू होने के बाद से सात श्रमिकों की मौत हो चुकी है। जबकि 129 लोग घायल हो चुके हैं। उनमें से ज्यादातर दुर्घटनाएं उच्च ऊंचाई से गिरने से हुई।
खासियत
-20 अरब डॉलर खर्च हुए निर्माण में
-80 हजार टन है पुल का वजन
-04 लाख टन स्टील का इस्तेमाल हुआ
-11.4 मीटर ऊंचा है यह पुल
-8 रिक्टर स्केल की तीव्रता वाले भूकंप झेल सकता है