नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को निर्देश दिए हैं कि वह इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए जुटाई गई रकम की जानकारी 30 मई तक सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग को दें। कोर्ट ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा लेने वाली पार्टियों को दानकर्ता के नाम के साथ, उनसे मिली रकम की भी जानकारी देनी होगी।
In an interim order, Supreme Court asks political parties to give details of donors who donated through electoral bonds, amounts received from them, details of payment received on each bond etc. to the Election Commission by May 30. https://t.co/LQ4JefXQCu
— ANI (@ANI) April 12, 2019
क्या हैं इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए डोनेशन के नियम ?
- कोई भी रजिस्टर्ड राजनीतिक दल जिसने पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में 1% वोट हासिल किए हों, वह इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए डोनेशन ले सकता है।
- इलेक्टोरल बॉन्ड 10 दिन के लिए जारी किए जाते हैं। लोकसभा चुनाव के साल में 30 दिन का अतिरिक्त समय दिया जाता है।
- इन बॉन्ड की वैलिडिटी जारी करने के बाद 15 दिन तक होती है। इस दौरान इन्हें कैश करवाना पड़ता है।
- ये बॉन्ड 1 हजार, 10 हजार, 1 लाख, 10 लाख और 1 करोड़ रुपए की वैल्यू के होते हैं। इन पर डोनर या जिस पार्टी को डोनेट किया जा रहा है उसकी जानकारी नहीं होती।