भोपाल : माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विवि में अनियमितताओं की जांच कर रही तीन सदस्यीय कमेटी की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला तथ्य सामने आए हंै। प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और वित्त अधिकारी समेत 24 लोगों की नियुक्तियों में मापदंडों का पालन नहीं हुआ।
इसमें अनुभव व एकेडेमिक परफॉर्मेंस इंडीकेटर में गड़बड़ी के साथ जो डिग्रियां दी गई हैं, वो जॉॅब करते समय हासिल की गईं। कमेटी की रिपोर्ट ईओडब्ल्यू को सौंप दी गई है। डीजी ईओडब्ल्यू केएन तिवारी का कहना है कि जो जांच रिपोर्ट मिली है, उसके तथ्यों का अन्वेषण किया जा रहा है। इसी आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी।
Investigation Committee finds financial anomalies in Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism&Mass Communication, Bhopal. Bhupendra Gupta,Committee Member says,’Rules were broken. Ppl associated with RSS allocated centers. Case transferred to Economic Offences Wing’ pic.twitter.com/b9Rx34V690
— ANI (@ANI) April 13, 2019
रिपोर्ट में तत्कालीन कुलपति प्रो. बीके कुठियाला के दो कार्यकाल भ्रष्टाचार और वित्तीय गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। इसके अनुसार…
- कुठियाला ने खुद तो लंदन की यात्रा की ही। पत्नी को भी विवि के खर्च पर यात्रा कराई। इस राशि को 5 महीने बाद एडजस्ट किया गया।
- विवि के खर्च पर 13 ऐसे टूर पर गए जिसमें प्रशासनिक व वित्तीय नियमों का सीधे तौर पर उल्लंघन किया गया।
- ब्लेडर सर्जरी के लिए 58,150 रु. , आंख के ऑपरेशन के लिए 1,69,467 रु. सहित एक अन्य बीमारी के लिए 20 हजार रु. का भुगतान भी यूनिवर्सिटी से प्राप्त किया। नियमानुसार गंभीर बीमारी में ही मेडिकल रिएंबर्समेंट मिलता है।
अनधिकृत तौर पर लैपटॉप, आई-फोन खरीद : पत्रकारिता विश्वविद्यालय में अनधिकृत तौर पर लैपटॉप, आई-फोन खरीदे गए, जिनका प्रो. कुठियाला ने उपयोग किया। एलपीसी की भ्रामक गणना की गई। रिपोर्ट में लिखा है कि प्रो. कुठियाला के मनमाने आचरण और उनके द्वारा की वित्तीय अनियमितताएं आर्थिक अपराध की जांच कराने के लिए उपयुक्त हैं। कमेटी को विश्वविद्यालय में हुई विभिन्न गड़बड़ियों को लेकर 181 शिकायतें प्राप्त हुईं थी। इससे एक विशेष विचारधारा से जुड़ी विभिन्न एजेंसी, संस्थाओं को उपकृत करने लाखों रुपए खर्च करने की गड़बड़ी सामने आई है। इसमें एबीवीपी से जुड़े अाल विद्यार्थी कल्याण न्यास को साढ़े पांच लाख रुपए का भुगतान भी शामिल है। इसके अलावा भवन निर्माण और विभिन्न शहरों में कैंपस खोलने में अनियमितताएं सामने आईं हैं। इसके अलावा रिसर्च और पब्लिकेशन के नाम पर भी गड़बड़ी सामने आई है। गौरतलब है कि जनसंपर्क विभाग के अपर मुख्य सचिव एम. गोपाल रेड्डी तीन सदस्यीय कमेटी के अध्यक्ष हैं।
विवि के सिस्टम पर रिपोर्ट में गंभीर टिप्पणी : कमेटी ने अपने आब्जर्वेशन में पाया है कि विवि को इन-फार्मल अथॉरिटी ने हाइजैक कर पैरलाइज्ड बना दिया था। यहां विचारधारा और आर्थिक दोनों रूप में भ्रष्टाचार हुआ है।
– ये गड़बड़ियां मिलीं
1. मापदंडों का ध्यान नहीं रखा गया। कुकुरमुत्ते की तरह खोले गए स्टडी सेंटर। इसके लिए डायरेक्टर एसोसिएट स्टडी सेंटर जवाबदार हैं।
2. अधिकारी व कर्मचारी भ्रष्ट गतिविधि में लिप्त हैं। उन्होंने वित्त, प्रशासन, अकादमी व भंडार-क्रय, परीक्षा और प्रकाशन शाखा में गड़बड़ी की।
3. विवि के शिक्षक और अधिकारियों ने एक विशेष विचारधारा के लिए काम किया।
4. बड़े पैमाने में अनियमितताएं हैं। भ्रष्ट प्रथाओं को उजागर करने वाले तथ्य और विश्वविद्यालय में समझौतों की बात सामने आई है।