भारत की पहली पूर्ण स्वदेशी और स्वचालित ट्रेन अगले हफ्ते से ट्रैक पर दौड़ने के लिए तैयार है। ट्रेन-18 नामक यह ट्रेन बिना इंजन (लोकोमोटिव) के चलेगी। इसका ट्रायल अगले हफ्ते शुरू होने की संभावना है। बुलेट ट्रेन की तरह दिखने वाली यह ट्रेन राजधानी और शताब्दी से तेज रफ्तार में चलेगी और यात्रा में 10 से 15 फीसद समय कम लगेगा। इसके हर कोच में एयर कंडीशनर और कैमरे लगे होंगे।
डिजाइन से लेकर ब्रेक सिस्टम तक इसके निर्माण में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। 100 करोड़ रुपये की लागत वाली ट्रेन-18 दुनियाभर की आधुनिक और लक्जरी ट्रेनों को मात देगी।
ट्रेन-18 का निर्माण मेक इन इंडिया मुहिम का सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट था। विदेशी तकनीक का सहारा लिए बिना भारत में निर्माण की वजह से तकरीबन 1.70 अरब रुपये की बचत हुई है। ट्रेन के लिए सिर्फ ब्रेकिंग सिस्टम, ट्रांसफॉर्मर्स और सीटें विदेश से आयात की गईं।
इंडियन रेलवे के लिए ट्रेन-18 का निर्माण इंटीग्रल कोच फैक्ट्री ने किया है। इसके जनरल मैनेजर सुधांशु मणि के मुताबिक अगली आधुनिक ट्रेन मार्च, 2019 तक तैयार होगी। इस तरह की कई ट्रेनों का निर्माण होने पर लागत घट जाएगी।
इस ट्रेन का परीक्षण 160 किमी प्रति घंटा रफ्तार पर मुरादाबाद-बरेली और कोटा- सवाई माधोपुर में अगले महीने किया जाएगा। फिलहाल ये शताब्दी व राजधानी रूट के लिए तैयार की गई है और दिल्ली-भोपाल, चेन्नई-बेंगलुरु व मुंबई-अहमदाबाद रूट पर चलेगी।
तेज रफ्तार होने की वजह से ट्रेन-18 में शताब्दी और राजधानी की तुलना में समान रूट की यात्रा में भी 10 से 15 फीसद कम समय लगेगा। सामान्य ट्रेन के मुकाबले इसकी एक्सेलेरेशन (गति वृद्धि) क्षमता 50 फीसद अधिक होगी। रफ्तार पर नियंत्रण के लिए स्मार्ट ब्रेक का इस्तेमाल किया गया है।