मंदसौर : गांधीसागर डैम जलीय प्रजाति के लिए अनुकूल साबित हो रहा है। पिछले कुछ सालों में यहां मगरमच्छ की संख्या में ढाई गुना वृद्धि हुई है। अभी यहां 4500 से ज्यादा मगरमच्छ हैं। मौमस की अनुकूलता से बांध क्षेत्र में ऊदबिलाव का कुनबा भी बढ़ने लगा है। पिछले कुछ माह में ऊदबिलाव के झुंड दिखने लगे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार ऊदबिलाव होना गांधीसागर डैम के अच्छे पर्यावरण व स्वच्छ पानी को दर्शाता है। गांधीसागर डैम के जल क्षेत्र में 2014 में करीब 1500 मगरमच्छ थे। पहले गर्मी के दिनों में यह एक-दो ही दिखा करते थे लेकिन अब तो यह गर्मी में भी बड़ी संख्या में पानी किनारे व पत्थरों पर बैठे मिल जाते हंै। गांधीसागर डैम क्षेत्र में 12 फीट तक के मगरमच्छ पाए जाते हैं।
लगातार बढ़ रही है ऊदबिलाव की संख्या
वन विभाग के डीएफओ मयंक चांदीवाल के अनुसार अब ऊदबिलाव झुंड में दिखने लगे हैं। पहले यहां ये लुप्तप्राय थे। पांच माह से यह लगातार दिख रहे हैं। मछली, सीप, केकड़े इसका भोजन हैं। ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ स्टर्लिंग द्वारा किए गए शोध के अनुसार ऊदबिलाव पर्यावरण के लिए लाभकारी हैं। उनके रहन-सहन और खानपान के कारण जैव विविधता में 28% की वृद्धि देखी गई है। पुणे ईला फाउंडेशन के संस्थापक सतीश पांडे कहते हंै गांधीसागर में ऊदबिलाव मिलना इस बात को दर्शाता है कि वहां का पानी एकदम साफ है।