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साध्वी प्रज्ञा ने अब दिग्विजय को बताया कालनेमि, वक्त के हिसाब से अलग-अलग रूप धारण करते हैं

भोपाल: भोपाल से भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने के बाद से ही साध्वी प्रज्ञा ठाकुर कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह को लेकर लगातार बयान दे रही हैं। वे दिग्विजय सिंह को हिंदू विरोधी करार देने का कोई मौका नहीं छोड़ रही हैं। शुक्रवार को कार्यकर्ताओं से बातचीत में दिग्विजय सिंह को महिषासुर कहा था। आज साध्वी प्रज्ञा ने उन्हें कालनेमि कहा है।

इधर, जिला निर्वाचन अधिकारी सुदाम खाड़े ने चुनाव आयोग को शहीद करकरे पर की गई विवादित टिप्पणी के संबंध में रिपोर्ट सौंप दी है।

साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि “दिग्विजय सिंह कालनेमि हैं, जो वक्त के हिसाब से अलग-अलग रूप धारण करते हैं, लेकिन उनका असली चेहरा और चरित्र सबके सामने है। इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ को भी निशाने पर लिया। साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि जो लोग 1984 के सिख विरोधी दंगों के आरोपी हैं, वो मुख्यमंत्री बनकर बैठे हैं। उन्हें शक है कि उन्हें साजिश करके जेल भी भिजवाया जा सकता है। जिस तरह से मेरे खिलाफ एनआईए कोर्ट में दोबारा याचिका लगाई गई। वो इसी तरफ इशारा कर रही है।”

शनिवार को मीडिया से बातचीत में उन्होंने साफ कर दिया कि भोपाल का चुनाव हिंदूत्व और भगवा आतंकवाद के मुद्दे पर ही लड़ा जाएगा। ये मुद्दा पूरे देश का है और इससे बढ़कर कुछ नहीं। साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि लोग साध्वी के अंत की चिंता न करें, जो लोग देश विरोधी, धर्म विरोधी और आतंकवाद का साथ देते हैं। ऐसे लोग अपने अंजाम के बारे में सोचें।

शहीद हेमंत करकरे पर बयान देकर आई थीं विवादों में 

  • एटीएस चीफ हेमंत करकरे पर विवादित बयान पर देकर मचे बवाल पर माफी मांगने के बाद उन्होंने फिर से दोहराया कि मैं इस बयान को लेकर माफी मांग चुकी हूं। लेकिन क्या आप उन लोगो से माफी मंगवा सकते हैं जिन लोगों ने मुझे नौ साल प्रताड़ित किया।
  • साध्वी प्रज्ञा से जब महिला पत्रकार ने इस बयान से जुड़ा सवाल पूछा तो एक बार फिर उनका दर्द फूट पड़ा। उन्होंने आपबीती सुनाते हुए कहा, ‘आप एक लड़की हैं? आप ये बताएं कि आपको 15-20 पुरूष एक साथ मिलकर बेल्ट से मारते हैं। कौन से कानून के अंतर्गत आता है? ऐसी अनेक प्रताड़नाएं, दिन रात पीटना, कहां का नियम है?

कौन हैं कालनेमि 
कालनेमि हिन्दू धार्मिक ग्रंथ रामायण के प्रमुख पात्रों में से एक है। यह लंका नरेश रावण का मामा था। रामायण में युद्ध के समय मेघनाद की शक्ति लगने से लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए और सुषेन वैद्य के परामर्श पर हनुमान संजीवनी बूटी लने के लिये रवाना हुए तो रावण ने उन्हें रोकने के लिये कालनेमि को भेजा था।

शंकराचार्य बोले- साध्वी नहीं हैं प्रज्ञा

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि प्रज्ञा ठाकुर साध्वी नहीं हैं। अगर वे साध्वी होती तो अपने नाम के पीछे ठाकुर क्यों लिखती। उन्होंने कहा साधू-साध्वी होने के मतलब है ऐसे व्यक्ति की सामाजित मृत्यु हो जाना। साधू-संत को समाज से कोई मतलब नहीं होता वे पारिवारिक जीवन नहीं जीते, लेकिन प्रज्ञा के साथ ये सब चीजें लगी हुई हैं। इसलिए वे साध्वी नहीं हैं। प्रज्ञा को अपनी बात कहते समय भाषा पर संयम रखना चाहिए। sikh riots 1984

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