लुधियाना/पंजाब : नाबालिग लड़की से कई दिन रेप करने के बाद उसे जिंदा जलाकर मारने वाले दोषी पड़ोसी युवक सुनील गुप्ता को अदालत ने उमक्रैद की सजा सुनाई है। दोषी के पिता हरीश चंद व दो भाइयों अनिल व लक्ष्मण को अदालत ने बरी कर दिया। शेरपुर इलाके से संबंधित इस मामले में थाना फोकल प्वाइंट पुलिस ने 25 फरवरी 2016 को अस्पताल में दाखिल पीड़िता के बयान पर पर्चा दर्ज किया था।
पुलिस में दर्ज केस के मुताबिक पड़ोसी युवक सुनील करीब दस दिन से लगातार उससे रेप कर रहा था। घटना वाले दिन रात करीब 8 बजे वह उसके क्वार्टर में आया और मिट्टी का तेल छिड़कर आग लगाकर भाग गया। मजिस्ट्रेट को बयान कलमबंद कराने के बाद पीड़िता ने पैर के अंगूठे के निशान लगाए थे क्योंकि आग में दोनों हाथ जल गए थे। पहले रेप व जानलेवा हमले का मामला दर्ज हुआ था, लड़की की मौत के बाद हत्या की धारा भी जोड़ी गई थी।
पीड़िता की मौत के बाद माता-पिता ने दर्ज कराए बयान में दोषी सुनील के पिता व दो भाइयों पर रेप व हत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था। तब पुलिस ने समोसे की रेहड़ी लगाने वाले उसके पिता व भाइयों को नामजद कर गिरफ्तार किया था। फैसले का सबसे अहम पहलू ये है कि अदालत में पीड़िता के माता-पिता पुलिस को दर्ज कराए बयानों से पलटते हुए गवाही से मुकर गए थे लेकिन अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी सुनील की कम उम्र की अपील ठुकराते हुए दोष सिद्ध होने पर उसे कड़ी सजा सुनाई। अदालत ने पीड़िता के मरने से पहले पुलिस व मजिस्ट्रेट को दिए बयान को फैसले के मद्देनजर अहम सबूत माना।
डाइंग डैक्लारेशन बना सजा का सबब
यह सराहनीय फैसला है, इससे दरिंदगी करने की सोचने वालों को भी सीख मिलेगी। इस केस में मरने से पहले दर्ज बयान (कानूनी भाषा में डाइंग डैक्लारेशन) सबसे अहम सबूत बने। ऐसे पेचीदा मामलों में कानूनी बारीकियों को जांचने व केस स्टडी से न्याय देने वाले फैसले संभव होते हैं। -एपी बतरा, पूर्व एडीश्नल सेशन जज
पैसों की कमी के चलते इलाज नहीं हो पाया था
आग लगने के बाद पेरेंट्स पीड़िता को सिविल अस्पताल ले गए थे। वहां से उसे पीजीआई रेफर किया गया। पिता ने बताया था कि पीजीआई में इलाज के लिए पैसा न जमा कराने पर उसे वापस लुधियाना सिविल अस्पताल लौट दिया।रास्ते में ही बेटी ने दम तोड़ दिया था।