नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने 1987 के हाशिमपुरा मामले में 16 पुलिसकर्मियों को हत्या और अन्य अपराधों के आरोपों से बरी करने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को फैसला सुनाया। कोर्ट 16 पुलिसकर्मियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है।
हाई कोर्ट ने कहा कि पीड़ितों के परिवारों को न्याय के लिए 31 वर्ष इंतजार करना पड़ा और आर्थिक मदद उनके नुकसान की भरपाई नहीं कर सकती। कोर्ट ने ये भी टिप्पणी की कि अल्पसंख्यक समुदाय के 42 लोगों का नरसंहार ‘लक्षित हत्या’ थी।
मार्च 2015 को निचली अदालत ने संदेश का लाभ देते हुए पीएसी के 16 पुलिसकर्मियों को 42 लोगों की हत्या के मामले में बरी कर दिया था। अदालत ने कहा था कि यह तो साबित होता है कि हाशिमपुरा से 40 से 45 लोगों का पीएसी के ट्रक से अपहरण किया गया और उन्हें मारकर नदी में फेंक दिया गया। अदालत के मुताबिक, यह साबित नहीं हो पाया कि इस हत्याकांड में पीएसी कर्मी शामिल थे।
इस जनसंहार में 42 लोगों को मृत घोषित किया गया था। इस घटना में पांच लोग जिंदा बच गए थे, जिन्हें अभियोजन पक्ष ने गवाह बनाया था।पीड़ित परिवारों ने इसके लिए सीधे तौर पर केंद्र और राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया था।