भोपाल : शहर के शाहपुरा इलाके के लक्ष्मण नगर में ममता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। करीब एक घंटे पहले जन्मे एक नवजात को कोई कचरे के ढेर में फेंक गया। घटना सोमवार सुबह 5.45 बजे की है। नवजात के चेहरे और शरीर पर चींटियाें के काटने से बच्चा रोने लगा।
रोने की आवाज सुनकर आसपास के कुछ लोग दौड़े और बच्चे को उठाया। इसके बाद जिगित्जा हेल्थ केयर के कॉल सेंटर पर फोन किया गया। वहां से एमपी नगर लोकेशन की एंबुलेंस माैके पर पहुंची। इस दौरान कुछ लोगों ने डायल-100 को भी कॉल कर दिया। सूचना मिलने पर एंबुलेंस और डायल-100 की टीमें भी वहां पर पहुंच गई। 108 के ईएमटी जितेंद्र भदौरिया ने देखा कि नवजात के चेहरे पर चींटियां चल रही हैं। उन्होंने उसे उठाया और नाल को काटा। शरीर में लगे खून को साफ किया गया।
भदौरिया ने बताया कि जेपी अस्पताल ले जाते समय नवजात की सांस उखड़ने लगी थी। तत्काल उसको ऑक्सीजन मास्क लगा दिया गया। नवजात चूंकि बहुत देर तक कचरे के ढेर में पड़ा था, इसके कारण उसे संक्रमण हो गया है। संक्रमण उसके फेफड़ों तक पहुंच जाने से उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। ऑक्सीजन मास्क की मदद से तत्काल उसे जेपी पहुंचाया गया। फिलहाल एसएनसीयू में उसका इलाज चल रहा है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. आईके चुघ ने बताया कि बच्चे की निगरानी की जा रही है। उसे संक्रमण से बचाने के लिए जरूरी दवाएं दी जा रही हैं।
अज्ञात के खिलाफ दर्ज किया केस
इधर शाहपुरा पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ पैदाइश छुपाने की धारा में मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस का कहना है कि बच्चे को फेंकने वाली महिला की पहचान के लिए आसपास के अस्पतालों में उस दौरान बच्चे को जन्म देेने वाली महिलाओं की जानकारी जुटाई जा रही है। राजधानी से सटे इलाकोें से भी संपर्क किया जा रहा है। जिगित्जा हेल्थ केयर के प्रोजेक्ट हैड जितेंद्र शर्मा ने बताया कि नवजात की सूचना देने वाले व्यक्ति का कंपनी मंगलवार को सम्मान करेगी।
प्रत्यक्षदर्शी बोले- मदद के लिए कोई आगे नहीं आया
लक्ष्मण नगर में रहने वाले डालचंद कुशवाह ने बताया कि सुबह 5.30 बजे वे टहलने निकले थे। उन्हाेंने देखा कि दाैलतराम अाटा चक्की के पास नाली किनारे कचरे में एक नवजात पड़ा हुअा है। भीड़ में खड़े लोग उसे देख रहे थे, लेकिन मदद को कोई आगे नहीं आया। मैं दौड़कर वहां पर पहुंचा तो देखा कि उसके चेहरे और शरीर पर चींटियां लगी थीं। उनके काटने से वो लगातार रो रहा था। वे तुरंत दौड़कर घर गए और एक साफ कपड़ा लेकर आए। इसके बाद 108 एंबुलेंस के कॉल सेंटर पर फोन किया। कुछ देर में एंबुलेंस पहुंची और बच्चे को अस्पताल लेकर चली गई।