जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद नरेंद्र मोदी तीसरे ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जो लोकसभा चुनाव में दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएंगे. गुरुवार को लोकसभा चुनाव के नतीजे जारी किए गए, जिसमें जनता ने दोबारा पीएम मोदी को पूर्ण जनादेश दिया है. 2014 में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में 543 में से 282 सीट जीती थीं.
साल 1951-1952 के पहले लोकसभा चुनाव में जवाहरलाल नेहरू की अगुआई में कांग्रेस ने तीन-चौथाई सीटें जीती थीं. उन्होंने 1957 और 1962 का चुनाव भी पूर्ण बहुमत से जीता. 1951 में भारत में पहली बार चुनाव हो रहे थे, लिहाजा यह पांच महीने (अक्टूबर 1951 से लेकर फरवरी 1952) चले. 1951 में जिस वक्त कांग्रेस का वर्चस्व चरम पर था, तब अन्य राजनीतिक पार्टियां जैसे भारतीय जनसंघ, किसान मजदूर प्रजा पार्टी, शेड्यूल कास्ट फेडरेशन और सोशलिस्ट पार्टी आकार ले रही थीं. 1951-52 के चुनावों में 489 सीटों में से कांग्रेस ने 364 सीटों पर कब्जा किया था. पार्टी को उस वक्त कुल वोटों में से 45 प्रतिशत वोट मिले थे.
1957 में दोबारा नेहरू मैदान में थे. लेकिन 1955 में हिंदू विवाह अधिनियम पारित होने के बाद बतौर प्रधानमंत्री उनके लिए मुश्किल वक्त था. वह पार्टी के बाहर और अंदर दक्षिणपंथी विचारधाराओं से जूझ रहे थे. इसके अलावा कई भाषायी विवादों से भी देश को रूबरू होना पड़ रहा था. नतीजन 1953 में राज्य पुनर्गठन समिति के गठन के बाद कई राज्यों का निर्माण भाषा के आधार पर हुआ. देश में खाद्यान संकट को लेकर भी रोष था.
हालांकि इन सबके बावजूद 1957 के चुनावों में 494 सीटों में से कांग्रेस को 371 सीट मिलीं और वोट शेयर भी बढ़ा. 1951-1952 में जहां वोट शेयर 45 प्रतिशत था, वह बढ़कर 47.78 प्रतिशत हो गया. 1962 में नेहरू की अगुआई में कांग्रेस को 494 सीटों में से 361 सीटें मिलीं. आजादी के 20 साल बाद देश में कांग्रेस का वर्चस्व देश की राजनीति में घटने लगा. 1967 में कांग्रेस को 6 राज्यों के विधानसभा चुनावों में हार मिली. इन राज्यों में तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल भी शामिल थे, जहां कांग्रेस को पहली बार हार नसीब हुई थी.