भोपाल : देश की महारत्न कंपनी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) अब कोयले पर आधारित पावर प्रोजेक्ट की जगह दूसरे क्षेत्रों में संभावनाएं तलाश रही है। क्योंकि भेल को वर्ष 2010 के बाद 2015 तक मंदी का दौर कोयले के कारण ही देखना पड़ा था। नई संभावनाओं के तहत रेलवे उपकरण, न्यूक्लियर व हाइड्रो टरबाइन की तरफ ज्यादा ध्यान देने से वर्ष 2015-16 से भेल लगातार मंदी के दौर से उभरकर लाभ की दिशा में बढ़ रहा है। वहीं बुलेट ट्रेन और मेट्रो को लेकर जापानी कंपनी कावासाकी के साथ समझौता हो चुका है। अब जल्दी ही भेल बुलेट ट्रेन और मेट्रो के उपकरणों के साथ सैन्य हथियारों के उपकरण भी बनाने लगेगा।
यह बात एक खास चर्चा के दौरान भेल के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक (सीएमडी) अतुल सोबती ने कही। उन्होंने कहा कि मेट्रो के लिए भेल को ऑर्डर का इंतजार है। टेंडर प्रक्रिया चल रही है। भोपाल यूनिट में बोगी बनाने के लिए जगह और राशि तय कर दी गई है। भोपाल मदर यूनिट होने से प्राथमिकता उसे ही दी जा रही है। एक सवाल के जबाव में सीएमडी सोबती ने कहा कि सैन्य उपकरणों के बारे में जानकारी देने का अधिकार सिर्फ सरकार को है। इसके अलावा भी भेल एयरोनॉटिक्स में भी संभावनाएं तलाश रहा है। भेल न्यू इंडिया बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। यही कारण है कि भेल ने कोयले से ध्यान हटाकर दूसरी संभावनाएं तलाशना शुरू किया।
अफ्रीका व अमरीका से ज्यादा प्रोजेक्ट
सोबती ने बताया कि अफ्रीका और पूरे अमरीका के मिलाकर करीब डेढ़ लाख मेगावाट के पावर प्रोजेक्ट हैं, जबकि भेल 1 लाख 83 हजार मेगावाट के पावर प्रोजेक्ट बना चुका है। वहीं सोलर प्लांट को लेकर उन्होंने कहा कि इसे लेकर भेल काफी गंभीर है। सभी यूनिटों को सोलर प्लांट लगाने काे कहा गया है। यह प्लांट किस जगह लगाया जा सकता है, इस संबंध में भोपाल यूनिट के ईडी डीके ठाकुर से चर्चा चल रही है।
प्रगति दीर्घा का लोकार्पण, अब लोग भी देख सकेंगे भेल में होने वाला काम
पिपलानी में भेल की पहली प्रगति दीर्घा का सीएमडी सोबती ने मंगलवार को लोकार्पण किया। इसमें भेल की सभी 17 प्रोडक्शन यूनिटों के मॉडल रखे गए हैं। अब आम लोग भी इस दीर्घा में भेल कारखाने में होने वाले काम को बखूबी देख व समझ सकेंगे।