- अभिमत

देश की सुरक्षा और बल का अभाव

प्रतिदिन:

देश के भीतर और सीमा की शांति का हाल किसी से छिपा नहीं है | देश की आंतरिक सुरक्षा और सीमा की निगरानी के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण अर्द्धसैनिक बलों में बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं | ये रिक्तियां जान बूझकर  नहीं भरी जा रही या भर्ती की प्रक्रिया लम्बी है | दोनों ही चिंताजनक हैं | कहने को पिछले दो सालों में सवा लाख से ज्यादा नियुक्तियां हुई हैं, पर अब भी ५५  हजार पद खाली हैं| 21 हजार से ज्यादा रिक्तियां  तो अकेले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में हैं|

नक्सली गिरोहों से लेकर कश्मीर और पूर्वोत्तर में अतिवादियों से निपटने में सीआरपीएफ की टुकड़ियों  ने पुलिस की मदद करने में बड़ी भूमिका अदा की है| सीमा की निगरानी तथा घुसपैठ और तस्करी की रोकथाम की जिम्मेदारी निभानेवाले सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में भी करीब १६  हजार कर्मियों की कमी है| यही स्थिति सशस्त्र सीमा बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, असम राइफल्स और औद्योगिक सुरक्षा बल में भी है| इन छह अर्द्धसैनिक बलों में पांच प्रतिशत से ज्यादा पदों का खाली रहना यही इंगित करता है कि बड़ी संख्या में रिक्तियां लंबे समय से चली आ रही हैंऔर इनको भरने में सरकार की रूचि कम है | यह कमी अंदरूनी सुरक्षा के मोर्चे सीमा पर मौजूद चुनौतियों से निबटने में बड़ी बाधा है| इससे सुरक्षा बलों की कार्यक्षमता और उनके मनोबल पर भी नकारात्मक असर पड़ता है|

इसी तरह विभिन्न राज्यों के पुलिस महकमे में भी खाली पड़े पदों पर भी ध्यान देना जरूरी है| इस साल जुलाई तक के आंकड़े बताते हैं कि पुलिस बल के करीब २२.५ लाख स्वीकृत पदों में से पांच लाख के करीब पद खाली हैं| पुलिस सबसे अधिक पद उत्तर प्रदेश में रिक्त हैं| यह संख्या १.८० लाख अनुमानित है | पश्चिम बंगाल और बिहार में भी खाली पदों की तादाद ३०  हजार से ज्यादा है| पिछले साल सर्वोच्च न्यायालय ने अनेक राज्यों को अगस्त, २०२० तक भर्ती का निर्देश दिया था| अदालत ने कहा था कि एक बार पद विज्ञापित होने के बाद किसी खास चरण की बहाली पूरी होने तक पुलिस भर्ती बोर्ड के सदस्य न तो बदले जा सकेंगे और न ही उनका तबादला किया जा सकेगा, परन्तु ऐसा नहीं हुआ | पुलिस विभाग में पदों पर देरी से बहाली और रिक्तियों की समस्या नई नहीं  बहुत पुरानी और पेचीदा है|

सर्वोच्च न्यायालय में दायर एक एक याचिका में कहा गया था कि देश में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती हालत की एक वजह पुलिस महकमे में बड़ी तादाद में पदों का खाली होना है| अदालत के आदेश के बावजूद स्थिति में बहुत सुधार नहीं हुआ है|उत्तर प्रदेश में फिलहाल पुलिसकर्मियों के ३० प्रतिशत पद खाली हैं| इस समस्या के साथ अगर हम प्रशिक्षण और अन्य संसाधनों की कमी को जोड़ लें, तो यह समझना जरा भी मुश्किल नहीं है कि आंतरिक सुरक्षा और निगरानी की मौजूदा व्यवस्था लचर क्यों है? अर्द्धसैनिक बलों की कमी को पूरा करने और पुलिसकर्मियों के खाली पदों को भरने में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों को तत्परता से अमलीजामा पहनाया जायेगा | तभी कुछ बदलेगा |

श्री राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार)
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com

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