नई दिल्ली : अयोध्या जमीन विवाद मामले में शीर्ष अदालत के फैसले को लेकर दायर 18 पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम काेर्ट में गुरुवार काे सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली 5 जजाें की संविधान पीठ ने तमाम याचिकाओं को खारिज कर दिया। चार अन्य जजाें में जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसए नजीर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे।
सुप्रीम काेर्ट ने 9 नवंबर को विवादित 2.7 एकड़ जमीन पर ट्रस्ट के जरिए मंदिर और मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था। इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए 18 याचिकाएं दायर की गई हैं। इसमें से अधिकतर याचिकाएं फैसले से असंतुष्ट मुस्लिम पक्षकारों की थीं।
निर्मोही अखाड़ा ने भी बुधवार को पुनर्विचार याचिका दायर की। अखाड़ा ने राम मंदिर के ट्रस्ट में अपनी भूमिका तय करने की मांग की है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जफरयाब जिलानी ने कहा- यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारी पुर्नविचार याचिकाओं को खारिज कर दिया। हम अपने अगले कदम को लेकर कुछ नहीं कह सकते हैं। इस बारे में अब हम हमारे वरिष्ठ वकील राजीव धवन से चर्चा करेंगे।
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पहली पुनर्विचार याचिका जमीयत के सेक्रेटरी जनरल मौलाना सैयद अशद रशीदी ने दाखिल की थी। रशीदी मूल याचिकाकर्ता एम सिद्दीक के कानूनी उत्तराधिकारी हैं। उन्होंने कहा था कि अदालत के फैसले में कई ऋुटियां हैं और संविधान के अनुच्छेद 137 के तहत इसके खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की जा सकती है।
याचिका में कहा गया था कि कोर्ट के फैसले का पहला और दूसरा हिस्सा विरोधाभासी है। कोर्ट ने इस बात पर सहमति जताई कि मस्जिद का निर्माण, मंदिर को तोड़कर नहीं किया गया था। 1992 का मस्जिद विवाद अवैध है। फिर कोर्ट ने यह जमीन दूसरे पक्ष को क्यों दे दी? मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन दे दी गई, जिसकी न तो अपेक्षा की गई थी और न ही अदालत से इसकी मांग की गई थी। उन्होंने कहा- हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि याचिका में पूरे फैसले को चुनौती नहीं दी जा रही है।
40 दिनों की लगातार सुनवाई के बाद 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने अयोध्या की विवादित जमीन हिंदू पक्ष को सौंपी थी। अदालत ने कहा था- विवादित जमीम पर मंदिर का निर्माण ट्रस्ट करेगा, जिसे 3 माह के भीतर केंद्र सरकार को बनाना है। अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था।